Health News: गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. अरुणा कालरा ने प्रेग्नेंसी प्लान कर रहे कपल्स को एक महत्वपूर्ण सलाह दी है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को हर चीज तुरंत चाहिए। यही चाहत प्रेग्नेंसी प्लानिंग के दौरान भारी तनाव का कारण बन रही है। यह तनाव ही अक्सर गर्भधारण में मुख्य रुकावट बन जाता है। डॉ. कालरा ने कुछ आम गलतियों से बचने की सलाह दी है।
डॉ. कालरा ने एक इंस्टाग्राम वीडियो के माध्यम से यह जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि कपल्स बच्चे की प्लानिंग शुरू करते ही कुछ महीनों में मानसिक रूप से थक जाते हैं। वे हर महीने रिजल्ट की उम्मीद करने लगते हैं। इस जल्दबाजी का प्रभाव उनके शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। यह तनाव प्राकृतिक प्रक्रिया में बाधा डाल सकता है।
तनाव कैसे बनता है प्रेग्नेंसी में रुकावट
डॉ. कालरा ने समझाया कि तनाव पूरी प्रक्रिया को एक प्रोजेक्ट में बदल देता है। सेक्स प्लेजरेबल न रहकर एक टास्क बन जाता है। महिलाएं अपने फर्टाइल दिनों का सख्ती से पालन करने लगती हैं। वे उन दिनों में पति पर इंटिमेट होने का दबाव डालती हैं। इससे पार्टनर में परफॉर्मेंस एंग्जायटी पैदा हो जाती है। नतीजतन, पूरी प्रक्रिया सहज न रहकर तनावपूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कहा कि इस दौरान धैर्य रखना सबसे जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना भी आवश्यक है। डॉ. कालरा के अनुसार, प्रकृति पर भरोसा रखें और जल्दबाजी से बचें। हर चीज की टाइमिंग अलग होती है। आपको बस अपनी सेहत पर ध्यान देना चाहिए। अनावश्यक दबाव स्थिति को और जटिल बना सकता है।
कब करवानी चाहिए एडवांस जांच
डॉ. कालरा ने एक अन्य प्रश्न का जवाब देते हुए जांच के बारे में बताया। उनसे पूछा गया कि सालों की कोशिश के बाद भी प्रेग्नेंसी नहीं हो रही है। सभी बुनियादी जांच सामान्य आई हैं। ऐसे में अगला कदम क्या होना चाहिए। डॉ. कालरा ने इस स्थिति को अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी बताया।
उन्होंने ऐसे मामलों में दो एडवांस जांच कराने की सलाह दी। पहली है डायग्नोस्टिक हिस्टेरोस्कोपी। यह जांच गर्भाशय की आंतरिक स्थिति देखने में मदद करती है। दूसरी है डायग्नोस्टिक लैप्रोस्कोपी। यह पेल्विक एरिया के अंगों की सटीक जांच करती है। ये जांच छिपे हुए कारणों का पता लगा सकती हैं।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार, इनफर्टिलिटी एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है। इससे लाखों कपल्स प्रभावित होते हैं। तनाव प्रबंधन को अक्सर उपचार योजना का हिस्सा बनाया जाता है। मायो क्लिनिक की एक रिपोर्ट भी मानसिक तनाव और प्रजनन क्षमता के बीच संबंध को स्वीकार करती है। स्वस्थ जीवनशैली इसमें सहायक हो सकती है।
डॉ. कालरा की सलाह का मुख्य सार है कि प्रक्रिया को प्राकृतिक रूप से होने दें। इसे एक यांत्रिक कार्य न बनाएं। आपसी रिश्ते में प्रेम और सहजता बनाए रखें। इससे तनाव कम होगा और परिणाम भी बेहतर आ सकते हैं। विशेषज्ञ की सलाह लेते रहना भी जरूरी है। समय पर सही जांच कराना भी आवश्यक होता है।
