Health News: प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनिया गुप्ता ने हाल ही में एक ऐसा मामला साझा किया जो गर्भावस्था के दौरान लापरवाही के गंभीर परिणामों की ओर इशारा करता है। एक महिला की तीसरी गर्भावस्था के दौरान परिवार ने पूरे नौ महीने कोई नियमित जांच नहीं करवाई। इस गंभीर लापरवाही का अंजाम नवजात शिशु की मौत के रूप में सामने आया। डॉक्टर ने इस घटना के माध्यम से गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को नियमित चिकित्सकीय जांच और संतान में भेदभाव न करने की सलाह दी है।
डॉक्टर सोनिया गुप्ता ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में इस मामले का विवरण देते हुए बताया कि परिवार पहले से दो बेटियां होने के कारण इस बार बेटे की चाहत में था। पिछली गर्भावस्थाओं जैसे लक्षण महसूस होने पर उन्होंने यह समझा कि सब कुछ सामान्य है और कोई जांच जरूरी नहीं है। इस दौरान गर्भवती महिला की तकलीफों को गंभीरता से नहीं सुना गया।
नियमित जांच न कराने का परिणाम
जब महिलाको प्रसव पीड़ा शुरू होने पर सीधे अस्पताल लाया गया, तो स्थिति गंभीर थी। डॉक्टर ने बताया कि डिलीवरी के बाद पैदा हुए बच्चे की स्थिति बहुत नाजुक थी। नवजात शिशु गंदे एमनियोटिक द्रव से सना हुआ था और उसकी सांस बहुत धीमी थी। चिकित्सकीय भाषा में इस स्थिति को ‘मीकोनियम एस्पिरेशन’ कहा जा सकता है, जो एक गंभीर जटिलता है। डॉक्टरों की पूरी कोशिश के बावजूद उस शिशु को बचाया नहीं जा सका।
परिवार को जब पता चला कि बच्चा बेटा है, तो उनका दुख और पश्चाताप असीम था। उनकी लापरवाही ने न केवल एक मासूम जान ले ली, बल्कि पूरे परिवार पर एक गहरा सदमा भी डाल दिया। डॉक्टर ने कहा कि यदि गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच होती, तो संभवतया समस्या का पता चल जाता और उचित प्रबंधन से इस त्रासदी को टाला जा सकता था।
डॉक्टर की अपील: जांच जरूरी है, भेदभाव न करें
डॉक्टर सोनियागुप्ता ने इस मामले से सीख लेने की अपील की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गर्भावस्था में नियमित चेकअप बेहद जरूरी हैं। इन जांचों के माध्यम से मां और शिशु दोनों की सेहत पर नजर रखी जाती है और संभावित जटिलताओं का समय रहते पता लगाया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह का पालन करना और कोई भी असामान्य लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना ही सुरक्षित मातृत्व की कुंजी है।
साथ ही, डॉक्टर ने एक गहरी सामाजिक समस्या की ओर भी ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि बेटे और बेटी के बीच भेदभाव करना न केवल गलत है, बल्कि इसके कारण ली गई लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। उनकी विनती है कि समाज के दबाव या अंधविश्वास में आकर मां और बच्चे की जिंदगी को जोखिम में न डालें। हर बच्चा, चाहे वह लड़का हो या लड़की, समान प्यार और देखभाल का हकदार है।
गर्भावस्था में किन बातों का रखें ख्याल
इस दुखद घटनासे प्राप्त सबक के आधार पर, स्वास्थ्य विशेषज्ञ गर्भवती महिलाओं और उनके परिवारों को कुछ महत्वपूर्ण बातें अपनाने की सलाह देते हैं। सबसे पहले, गर्भधारण की पुष्टि होते ही एक योग्य डॉक्टर के साथ नियमित जांच की योजना बनाएं। डॉक्टर द्वारा बताई गई सभी जांच, जैसे कि अल्ट्रासाउंड और रक्त परीक्षण, समय पर करवाएं। ये जांच शिशु के विकास और मां के स्वास्थ्य पर नजर रखने में मदद करती हैं।
गर्भवती महिला को पौष्टिक आहार लेना चाहिए और पर्याप्त आराम करना चाहिए। उसकी शारीरिक व मानसिक तकलीफों को गंभीरता से सुनें और उसका समाधान करें। प्रसव पीड़ा या कोई अन्य आपात स्थिति होने पर तुरंत अस्पताल जाएं, घरेलू उपचार या देरी न करें। सबसे महत्वपूर्ण बात, गर्भस्थ शिशु के लिंग को लेकर किसी तरह का दबाव या तनाव न बनाएं। एक स्वस्थ मां और स्वस्थ शिशु ही सबसे बड़ी खुशी है।
इस प्रकार की घटनाओं से बचाव संभव है। जरूरत है सजगता, जिम्मेदारी और सही चिकित्सकीय मार्गदर्शन की। डॉक्टर सोनिया गुप्ता द्वारा साझा किया गया यह मामला सभी के लिए एक चेतावनी है कि गर्भावस्था एक नाजुक दौर है, और इसमें लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है।
