Himachal News: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 2013 से एक पोंजी स्कीम के जरिए हजारों लोग ठगे जा रहे हैं। कंपनी हर व्यक्ति से सालाना 18,000 रुपये वसूलती है। अनुमानित 3.60 करोड़ रुपये सालाना इकट्ठा किए जाते हैं। ऑर्गनाइजर हर साल गायब हो जाता है। पीड़ित लोग पुलिस और प्रशासन के पास भटक रहे हैं। कोई कार्रवाई नहीं होने से ठगी का सिलसिला जारी है।
ठगी का तरीका और संचालन
यह कंपनी सेल्स और सर्विसेज के नाम पर चलती है, लेकिन कहीं रजिस्टर्ड नहीं है। हर साल 2000 नए लोगों को पोंजी स्कीम में जोड़ा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति से मासिक 1500 रुपये लिए जाते हैं। साल पूरा होने पर ऑर्गनाइजर फरार हो जाता है। फोन तक बंद कर लिया जाता है। पीड़ितों को न पैसा मिलता है, न इनाम। लोग शिकायत दर्ज कराते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती।
टैक्स चोरी और वित्तीय धोखाधड़ी
कंपनी 12 साल से बिना टैक्स चुकाए चल रही है। हर साल 3.60 से 4 करोड़ रुपये इकट्ठा किए जाते हैं। सारा पैसा ऑर्गनाइजर के निजी खाते में जाता है। इससे पोंजी स्कीम के जरिए टैक्स चोरी भी होती है। इनकम टैक्स विभाग को कोई जानकारी नहीं दी जाती। पीड़ितों की शिकायतों के बावजूद प्रशासन निष्क्रिय है। यह घोटाला मंडी में बिना किसी रोक-टोक के चल रहा है।
ऑर्गनाइजर की चालाकी
ऑर्गनाइजर हर साल कर्मचारियों को बदल देता है। इससे पोंजी स्कीम को छिपाना आसान हो जाता है। नए लोगों को बड़े इनाम का लालच दिया जाता है। लेकिन साल के अंत में न तो इनाम मिलता है, न पैसा। पीड़ित लोग पुलिस और प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से ऑर्गनाइजर के हौसले बुलंद हैं। लोग अपना पैसा वापस पाने की उम्मीद खो चुके हैं।
प्रशासन की निष्क्रियता
लोगों ने कई बार पुलिस में शिकायतें दर्ज कीं, लेकिन कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। मंडी जिले में इस घोटाले से हजारों लोग प्रभावित हैं। प्रशासन और पुलिस की चुप्पी सवाल उठाती है। पीड़ितों को दोषी ठहराया जाता है, जबकि ठगी करने वाले बेखौफ हैं। यह पोंजी स्कीम 12 साल से बिना किसी रुकावट के चल रही है। लोग बेबस होकर इंसाफ की उम्मीद में भटक रहे हैं।
