शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

बहुपति प्रथा: जानें क्या है ‘जजड़ा’ या ‘जोड़ीदार’ प्रथा, जहां एक लड़की कई भाइयों के साथ करती है शादी

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Himachal News: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हट्टी जनजाति की बहुपति प्रथा फिर चर्चा में है। शिलाई गांव में दो भाइयों, प्रदीप और कपिल नेगी, ने सुनीता चौहान से शादी की। यह तीन दिवसीय समारोह 12 जुलाई से शुरू हुआ। स्थानीय लोकगीतों और नृत्यों ने इसे रंगीन बनाया। सुनीता ने बिना दबाव के यह निर्णय लिया। यह परंपरा जोड़ीदार के नाम से जानी जाती है।

जोड़ीदार प्रथा का इतिहास

हट्टी जनजाति में बहुपति प्रथा को जोड़ीदार या जजड़ा कहा जाता है। यह परंपरा सिरमौर के ट्रांस-गिरि क्षेत्र में प्रचलित है। इसका उद्देश्य पारिवारिक जमीन को बंटने से बचाना है। कुछ इसे महाभारत की द्रौपदी से जोड़ते हैं। हट्टी समुदाय में यह प्रथा सदियों पुरानी है। हालांकि, शिक्षा और आर्थिक प्रगति के कारण यह अब कम हो रही है। फिर भी, कुछ गांवों में यह परंपरा जीवित है।

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प्रथा के नियम और व्यवस्था

जोड़ीदार प्रथा में पत्नी आपसी सहमति से अपने पतियों के साथ समय बिताती है। बच्चे पूरे परिवार की जिम्मेदारी होते हैं। सबसे बड़ा भाई कानूनी रूप से पिता माना जाता है। यह प्रथा पारिवारिक एकता और आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा देती है। हिमाचल के राजस्व कानून इसे मान्यता देते हैं। बदहाना गांव में पिछले छह सालों में पांच ऐसी शादियां हुई हैं। यह परंपरा अब भी कुछ परिवारों में कायम है।

कानूनी स्थिति और मान्यता

भारत में बहुपति प्रथा आमतौर पर गैरकानूनी है। हालांकि, हिमाचल प्रदेश में हट्टी जनजाति की जोड़ीदार प्रथा को राजस्व कानूनों के तहत मान्यता प्राप्त है। यह स्थानीय परंपराओं को संरक्षित करता है। बच्चों को सभी पतियों की संपत्ति में हिस्सा मिलता है। समाजसेवी प्रताप सिंह रावत के अनुसार, यह प्रथा ट्रांस-गिरि क्षेत्र में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। यह परंपरा परिवारों को एकजुट रखने में मदद करती है।

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Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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