New Delhi News: देश में बढ़ते Pollution (प्रदूषण) और बेरोजगारी को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री शांता कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि गरीबी और जानलेवा प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण अनियंत्रित जनसंख्या है। शांता कुमार ने सरकार को ‘दो बच्चों का कानून’ बनाने की सलाह दी है। उनका मानना है कि जनसंख्या को रोके बिना भारत की समस्याओं का समाधान संभव नहीं है। उन्होंने एक बच्चे वाले परिवारों को विशेष सुविधाएं देने की भी वकालत की है।
दिल्ली बनी गैस चैंबर
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की राजधानी दिल्ली Pollution (प्रदूषण) के ‘रेड जोन’ में आ गई है। दिल्ली समेत भारत के कई शहर गैस चैंबर बन चुके हैं। जहरीली हवा के कारण बच्चों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही हैं। उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि साल 2022 में केवल वायु प्रदूषण की वजह से भारत में 17 लाख लोगों की जान गई। यह आंकड़ा बेहद डरावना है।
अमीरी के बीच भुखमरी का आलम
शांता कुमार ने देश की आर्थिक विषमता पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के चार सबसे अमीर देशों में शामिल है। इसके बावजूद, दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब और भूखे लोग यहीं रहते हैं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक, भारत में करीब 19 करोड़ लोग आज भी भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तमाम प्रयासों के बाद भी बढ़ती आबादी के कारण गरीबी और बेरोजगारी खत्म नहीं हो रही है।
बढ़ते अपराध और आत्महत्याएं
टिड्डी दल की तरह बढ़ती आबादी का असर समाज पर भी दिख रहा है। बेरोजगारी बढ़ने से अपराध और आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल 1,87,000 लोगों ने आत्महत्या की। इसमें 13,000 छात्र शामिल थे। आबादी का दबाव इतना है कि अब इंसानों के साथ-साथ कुत्तों की संख्या भी समस्या बन गई है। कुत्तों के काटने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
50 गुना बढ़ गई दिल्ली की आबादी
शांता कुमार ने जनसंख्या विस्फोट के चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। 1947 में दिल्ली में केवल 7 लाख लोग रहते थे। आज यह संख्या बढ़कर 3.46 करोड़ हो गई है, जो 50 गुना अधिक है। आजादी के समय भारत की कुल आबादी 35 करोड़ थी। आज यह बढ़कर 143 करोड़ के पार पहुंच गई है। देश में हर साल 2 करोड़ नई आबादी जुड़ रही है। शांता कुमार ने कहा कि दुनिया के कई देशों ने आबादी को रोका है, तो भारत ऐसा क्यों नहीं कर सकता?
