National News: ग्रामीण रोजगार गारंटी बिल को लेकर संसद में नया विवाद शुरू हो गया है। ग्रामीण विकास पर संसदीय समिति ने उनतीस दिसंबर की बैठक बुलाई है। इस बैठक में नए बिल की मनरेगा से तुलना की जाएगी। समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद सप्तगिरी उलाका ने यह निर्णय लिया है।
भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने इस फैसले का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि यह बिल अभी कानून नहीं बना है। राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार है। ऐसे में समिति का यह कदम अनुचित माना जा रहा है।
समिति के एजेंडे पर भाजपा सांसदों की आपत्ति
समिति के एजेंडे में ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रस्तुति शामिल है। मंत्रालय नए बिल के बारे में जानकारी देगा। इसकी तुलना पुरानी मनरेगा योजना से की जाएगी। भाजपा सांसदों को इस प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति है।
भाजपा सांसद विवेक ठाकुर ने इस फैसले को विचारहीन बताया। उनका कहना है कि बिल अभी कानून नहीं बना है। समिति केवल लागू कानूनों की समीक्षा कर सकती है। नए बिल पर चर्चा करना नियमों के विरुद्ध है।
बिल की तुलना पर राजनीतिक आरोप
एनडीए के सदस्यों का मानना है कि यह राजनीतिकरण है। बिल की तुलना यूपीए काल की योजना से करना गलत है। विपक्षी दल नए कानून की आलोचना के लिए एकजुट हैं। यह बिल मनरेगा की जगह लेगा।
नए कानून में गांधी जी का नाम हटा दिया गया है। इस बदलाव को लेकर भी राजनीतिक बहस चल रही है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ऐतिहासिक योजनाओं से जुड़ाव तोड़ रही है। सरकार इन आरोपों को खारिज करती है।
संसद में बिल पर हुई थी लंबी बहस
लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान उलाका ने मांग की थी। उन्होंने बिल को समिति के पास भेजने का अनुरोध किया था। सरकार ने यह मांग ठुकरा दी थी। अब उलाका ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है।
इस पत्र में फिर से बिल को समिति के पास भेजने की मांग की गई है। एनडीए सदस्यों ने इस कदम की भी आलोचना की है। उनका कहना है कि समिति में उनकी संख्या अधिक है। वे लोकसभा अध्यक्ष से इस मुद्दे पर बात करेंगे।
समिति का इतिहास विवादों से भरा रहा है
यह पहली बार नहीं है जब समिति विवादों में है। जुलाई में भी एक बैठक में विवाद हुआ था। उस बैठक में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को बुलाया गया था। भाजपा सांसदों ने इसका विरोध किया था।
सांसदों ने मेधा पाटकर को विकास विरोधी बताया था। उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया था। इसके बाद बैठक बीच में ही समाप्त करनी पड़ी थी। अब फिर से समिति के एजेंडे पर विवाद शुरू हो गया है।
नए बिल में क्या हैं प्रमुख बदलाव
नया बीवी-जी राम जी कानून मनरेगा का स्थान लेगा। इसके तहत रोजगार की गारंटी बढ़ाई गई है। अब हर परिवार को एक सौ पच्चीस दिन का रोजगार मिलेगा। पुरानी योजना में यह सीमा एक सौ दिन की थी।
यह रोजगार बिना विशेष कौशल वाले वयस्कों के लिए है। नए कानून का लक्ष्य टिकाऊ इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना भी है। सरकार का दावा है कि यह योजना अधिक प्रभावी होगी। विपक्ष इन दावों पर सवाल उठा रहा है।
बैठक के बाद क्या हो सकता है आगे
उनतीस दिसंबर की बैठक में तनाव की संभावना है। भाजपा सदस्य बैठक में हिस्सा लेंगे या नहीं यह स्पष्ट नहीं है। संभव है कि वे फिर से विरोध प्रदर्शन करें। इससे समिति का काम प्रभावित हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद जारी रहेगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद भी बहस जारी रह सकती है। ग्रामीण रोजगार हमेशा से संवेदनशील मुद्दा रहा है। इसलिए इस पर राजनीतिक टकराव स्वाभाविक है।
