शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

पुलिस: सोशल मीडिया बैन से जवानों में बढ़ रहा असंतोष, यह 10 बड़े उदाहरण खोल चुके है पोल

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India News: देश भर में पुलिस विभाग में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर सख्त पाबंदियां लगाई जा रही हैं। साल 2024-2025 के बीच दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में नए नियम लागू हुए हैं। इन नियमों के कारण पुलिस के जवान अब अपनी समस्याएं या फील्ड की हकीकत साझा नहीं कर पा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इन फैसलों से पारदर्शिता खत्म हो रही है। फील्ड स्टाफ का कहना है कि वे भारी दबाव में काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं है।

पुलिस कर्मियों पर काम का बढ़ता बोझ

पुलिस महकमे में सबसे ज्यादा दबाव निचले स्तर के कर्मचारियों पर है। एक प्राथमिकता दर्ज करने से लेकर अदालत में पेशी तक की सारी जिम्मेदारी इन्हीं पर होती है। कागजी काम, गाड़ी और स्टेशनरी का खर्च अक्सर अदृश्य बोझ बन जाता है। विभाग का फील्ड स्टाफ ही पुलिस की असली ताकत है। यह ‘वट वृक्ष की छोटी टहनियों’ की तरह है, जिन पर पूरा पेड़ टिका होता है। आज यही कर्मचारी सबसे ज्यादा तनाव में हैं। सोशल मीडिया पर रोक लगने से वे अपनी पीड़ा भी व्यक्त नहीं कर पाते हैं।

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राज्यों में सोशल मीडिया पाबंदी के दुष्प्रभाव

विभिन्न राज्यों में लागू नियमों से कई विवाद और गलतफहमियां पैदा हुई हैं। यहाँ 10 प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं:

  • दिल्ली: पुलिस कमिश्नर ने यूनिफॉर्म में रील बनाने पर रोक लगाई। इससे जनता को लगा कि विभाग अपनी कमियां छिपा रहा है। जवानों के मुताबिक इससे पारदर्शिता घटी है।
  • मध्य प्रदेश: रीवा और सतना जैसे जिलों में निजी वीडियो डालने पर मनाही है। इससे पुलिस की मानवीय छवि जनता तक नहीं पहुंच पा रही है।
  • तमिलनाडु: काम से जुड़ी पोस्ट पर रोक लगने से निचले स्टाफ की शिकायतें दब गईं। पहले वीडियो वायरल होने पर उनकी सुनवाई होती थी।
  • केरल: यहाँ सोशल मीडिया इस्तेमाल के लिए ‘हलफनामा’ (Affidavit) देना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे जवानों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सीमित हुई है।
  • उत्तर प्रदेश: कई जिलों में पुलिसकर्मियों को पुरानी रील और स्टेटस हटाने पड़े। इससे जनता के बीच ‘सेंसरशिप’ का संदेश गया है।
  • राजस्थान: सच्चाई दिखाने वाले तीन जवानों पर कार्रवाई हुई। इससे विभाग में डर का माहौल बन गया है।
  • पंजाब: किसान आंदोलन के दौरान पुलिस को असलियत दिखाने से रोका गया। इससे जवानों में भारी असंतोष देखने को मिला।
  • कर्नाटक: एक जवान ने अपराध बढ़ने पर चेतावनी वीडियो बनाया था। नियमों के कारण उसे वीडियो हटाना पड़ा और बाद में वही अपराध घटित हुआ।
  • महाराष्ट्र: एक महिला कॉन्स्टेबल ने शोषण के खिलाफ वीडियो बनाया। उसे हटा दिया गया, जिससे महिला सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए।
  • जम्मू-कश्मीर: बर्फबारी में फंसी टीम के लिए एक जवान ने मदद मांगी थी। पॉलिसी के कारण पोस्ट डिलीट हुई और मदद में देरी हुई।
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हिमाचल पुलिस और सुधार की मांग

हिमाचल प्रदेश पुलिस काफी काबिल मानी जाती है। हालांकि, यहाँ भी काम का बोझ क्षमता को प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि फील्ड स्टाफ को वीआईपी ड्यूटी और नेताओं की सुरक्षा से अलग रखना चाहिए। समारोहों और विशेष तैनाती के लिए अलग से भर्ती की जानी चाहिए। इससे पुलिस जनता को बेहतर सेवा दे सकेगी। वर्तमान में पुलिसकर्मी न तो विरोध कर सकते हैं और न ही अपनी बात खुलकर रख सकते हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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