Muzaffarabad News: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में इन दिनों गहरा राजनीतिक उठापटक देखने को मिल रहा है। स्थानीय लोगों ने सुरक्षा बलों के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किए हैं। ताजा रिपोर्टों के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने कई पुलिस और सेना के जवानों को नजरबंद कर लिया है। यह स्थिति क्षेत्र में बढ़ते जन असंतोष को दर्शाती है।
स्थानीय नागरिकों ने पाकिस्तानी सुरक्षा वाहनों और कंटेनरों को नदी में फेंक दिया। उन्होंने इलाके को भारत का अभिन्न अंग बताया। इस घटना ने क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया है। पूरे पीओके में तनाव के माहौल के बीच सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
व्यापक विरोध प्रदर्शन
रावलकोट, हजीरा और अब्बासपुर समेत कई शहरों में हजारों लोग सड़कों पर उतरे हैं। उन्होंने सरकार की नीतियों के खिलाफ नारेबाजी की। पाकिस्तानी मीडिया ने सड़कों पर अराजकता के वीडियो प्रसारित किए हैं। एक वीडियो में कुछ लोग हवा में गोलियां चलाते हुए दिखाई दिए।
स्थानीय नागरिकों ने पाकिस्तानी राजनेताओं के अभिजात्य रवैये का विरोध किया है। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों को उजागर किया है। प्रदर्शनकारियों की मांगों में मुद्रास्फीति पर नियंत्रण शामिल है। पेट्रोल और बिजली जैसी आवश्यक वस्तुओं की高昂 लागत ने आम जनता को परेशान कर दिया है।
लंबे मार्च की तैयारी
जम्मू-कश्मीर संयुक्त जन कार्रवाई समिति के नेता शौकत नवाज मीर ने एक लंबे मार्च की घोषणा की है। यह मार्च एक अक्टूबर को मुजफ्फराबाद की ओर निकलेगा। यह आंदोलन पीओके के कई प्रमुख कस्बों और जिलों से शुरू होगा। इसके विदेशों में भी व्यापक प्रभाव की उम्मीद है।
ब्रिटिश कश्मीरी समुदाय ने भी इस आंदोलन में अपना समर्थन दिखाया है। लंदन में पाकिस्तानी उच्चायोग और ब्रैडफोर्ड स्थित वाणिज्य दूतावास के बाहर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान सरकार से प्रदर्शनकारियों की 38 मांगें मानने का आग्रह किया।
सुरक्षा बलों के सामने चुनौती
रिपोर्ट्स बताती हैं कि 250 से अधिक सुरक्षा कर्मियों को प्रदर्शनकारियों ने नजरबंद कर लिया। पुलिस कर्मियों ने आंदोलनकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह घटना स्थानीय जनता और सुरक्षा बलों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाती है।
पाकिस्तानी मीडिया ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम कॉन्फ्रेंस समूह ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाईं। इस समूह पर पाकिस्तानी सेना और डीप स्टेट के इशारे पर कार्य करने का आरोप लगाया गया है। इन आरोपों ने पूरी स्थिति को और अधिक विवादास्पद बना दिया है।
क्षेत्र में स्थिति सामान्य बनाने के लिए प्रशासनिक प्रयास जारी हैं। स्थानीय प्रशासन प्रदर्शनकारियों से बातचीत का प्रयास कर रहा है। हालांकि अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। पूरे क्षेत्र में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
