Himachal News: भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तेज गेंदबाज रेणुका ठाकुर विश्व कप जीतने के बाद गुरुवार को अपने गांव पहुंचेंगी। वह हाटकोटी मंदिर में दर्शन करने के बाद पारसा गांव में अपने घर जाएंगी। इसके बाद स्थानीय लोग उनके सम्मान में एक कार्यक्रम का आयोजन करेंगे। रेणुका की मां सुनीता ठाकुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई प्रशंसा से विशेष रूप से प्रसन्न हैं।
सुनीता ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगल पेरेंट के संघर्ष और मेहनत को बहुत अच्छे से समझा है। उनके द्वारा बढ़ाए गए हौसले से न केवल हिमाचल बल्कि पूरे देश के सिंगल पेरेंट्स को नई ऊर्जा मिलेगी। उन्होंने कहा कि पहले बेटी ने देश के लिए सम्मान अर्जित किया और अब पीएम की प्रशंसा ने जीवन भर के संघर्ष को सार्थक कर दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली स्थित पीएमओ में रेणुका ठाकुर से बातचीत के दौरान उनकी मां की सराहना की थी। पीएम ने कहा था कि रेणुका को इस मुकाम तक पहुंचाने में उनकी मां के अथक परिश्रम और त्याग की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने एक सिंगल पेरेंट के रूप में की गई कड़ी मेहनत को पूरे देश के सामने लाया है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि वह वर्ष 1998 से 2003 तक हिमाचल प्रदेश में भाजपा के प्रभारी रहे हैं। इस अनुभव के कारण वह पहाड़ी लोगों की कठिन मेहनत और जीवन संघर्ष दोनों को अच्छी तरह से समझते हैं। यह जानकारी उनके लिए हिमाचल के लोगों की चुनौतियों को बेहतर ढंग से समझने में सहायक रही है।
रेणुका ठाकुर के पिता केहर सिंह ठाकुर का वर्ष 1999 में निधन हो गया था। इस दुखद घटना के बाद परिवार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। सुनीता ठाकुर उस समय जल शक्ति विभाग में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में काम करती थीं। उन्हें महज 1500 रुपये मासिक वेतन मिलता था।
इस सीमित आय में सुनीता ठाकुर ने अपने दो बच्चों का पालन-पोषण किया। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि बच्चों को किसी प्रकार की कमी महसूस न हो। रेणुका के क्रिकेट प्रशिक्षण के लिए उन्होंने कई बार एसडीओ से पैसे उधार लिए। अपनी भूख को नजरअंदाज कर बेटी के सपनों को पूरा किया।
अपनी बेटी को क्रिकेटर बनाने के लिए सुनीता ठाकुर ने अनेक कठिनाइयों का सामना किया। वह कई बार स्वयं सूखी रोटियां खाकर रह जाती थीं ताकि रेणुका को हिमाचल प्रदेश क्रिकेट अकादमी भेज सकें। उन्होंने बेटी की हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखा। रेणुका बचपन में कपड़े की गेंद और लकड़ी के बैट से खेलती थीं।
रेणुका ठाकुर शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के पारसा गांव की निवासी हैं। उनकी सफलता की कहानी देश के युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा बन गई है। उनका घर वापस आना स्थानीय समुदाय के लिए गर्व का क्षण होगा। ग्रामीण उनके स्वागत की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
मंडी जिले में एक अलग घटना में एक बोलेरो वाहन खड्ड में गिर गया। यह वाहन खड्ड के बीच बने वैकल्पिक मार्ग पर चल रहा था। दुर्घटना में वाहन आधे से अधिक पानी में डूब गया। इस हादसे के समय वाहन में छह लोग सवार थे जिन्हें बचाया गया।
