New Delhi News: भारत और रूस के रिश्ते दशकों पुराने और बेहद मजबूत हैं। इन रिश्तों की मजबूती के पीछे दोनों देशों के नेताओं की केमिस्ट्री अहम भूमिका निभाती है। पीएम मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच का यह खास रिश्ता आज का नहीं, बल्कि 24 साल पुराना है। इसकी नींव साल 2001 में मास्को में पड़ी थी। उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी।
अटल बिहारी वाजपेयी के साथ खास दौरा
साल 2001 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी रूस के आधिकारिक दौरे पर गए थे। उस समय पीएम मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। वाजपेयी जी उन्हें अपने प्रतिनिधिमंडल में साथ लेकर गए थे। यह दौरा भारत-रूस संबंधों के लिए ऐतिहासिक साबित हुआ। आज जब पुतिन भारत दौरे पर आते हैं, तो उस पुराने दौर की यादें फिर ताजा हो जाती हैं।
पहली बार एक फ्रेम में दिखे दिग्गज
व्लादिमीर पुतिन को रूस का राष्ट्रपति बने तब कुछ ही महीने हुए थे। उसी दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल मास्को पहुंचा था। यह वही मौका था जब नरेंद्र मोदी और पुतिन पहली बार एक साथ एक फ्रेम में नजर आए थे। वाजपेयी का गुजरात के तत्कालीन सीएम पर गहरा भरोसा था। यही वजह थी कि उन्होंने कूटनीतिक रूप से अहम इस दौरे पर मोदी को अपने साथ रखा।
रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में नई क्रांति
साल 2001 का वह दौरा केवल एक औपचारिक मुलाकात नहीं थी। उस समय रक्षा सहयोग, अंतरिक्ष कार्यक्रम और ऊर्जा सुरक्षा पर गंभीर चर्चाएं हुई थीं। साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी ने इस रिश्ते को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।
- रक्षा सौदे: S-400 जैसी मिसाइल प्रणाली पर सहमति बनी।
- ऊर्जा: रूसी तेल और गैस के आयात पर रणनीतिक फैसले लिए गए।
वैश्विक मंचों पर अटूट भरोसा
साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने, तो बधाई देने वाले शुरुआती नेताओं में पुतिन शामिल थे। आज दोनों नेता G-20, BRICS और SCO जैसे बड़े मंचों पर गजब का तालमेल साझा करते हैं। दोनों देशों के बीच यह भरोसा कूटनीति से आगे बढ़कर एक विशेष साझेदारी में बदल चुका है।
