Imphal News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर के दूसरे सप्ताह में मणिपुर का दौरा कर सकते हैं। मई 2023 में हुई जातीय हिंसा के बाद यह उनकी पहली यात्रा होगी। इस यात्रा को राज्य में सामान्य स्थिति बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पीएम के दौरे से पहले गृह मंत्रालय के अधिकारी कुकी-जो उग्रवादी संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे।
SoO समझौते पर होगा फैसला
बुधवार कोहोने वाली बैठक का मुख्य उद्देश्य सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस समझौते को बढ़ाने पर अंतिम निर्णय लेना है। यह समझौता फरवरी 2024 से अधर में लटका हुआ है। मणिपुर सरकार ने पहले ही त्रिपक्षीय संधि से अपना हाथ खींच लिया था। इस बैठक के परिणाम पीएम की यात्रा के लिए महत्वपूर्ण होंगे।
बंद पड़े राष्ट्रीय राजमार्ग खुलने की उम्मीद
सूत्रोंके अनुसार कुकी-जो सिविल सोसाइटी समूह पीएम के दौरे से पहले दो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग खोलने पर सहमत हो सकते हैं। एनएच-2 और एनएच-37 इंफाल घाटी को नागालैंड और असम से जोड़ते हैं। ये राजमार्ग पिछले दो वर्षों से बंद पड़े हैं। इनके खुलने से आवागमन में सुधार की उम्मीद है।
राष्ट्रपति शासन और वार्ता की स्थिति
मणिपुर अभी राष्ट्रपतिशासन के अधीन है। गृह मंत्रालय ने जून 2025 में SoO समूहों के साथ वार्ता फिर से शुरू की थी। सरकार का प्रस्ताव है कि मौजूदा 14 कैंपों को घटाकर 7 किया जाए। इन कैंपों को मैतेई बहुल इलाकों से दूर स्थानांतरित किया जाएगा। इस प्रस्ताव पर दोनों पक्षों की सहमति आवश्यक है।
बदलते राजनीतिक दावों का स्वरूप
हिंसासे पहले SoO समूहों की मुख्य मांग स्वायत्त क्षेत्रीय परिषद की थी। मई 2023 की हिंसा के बाद उनकी मांगें बदल गई हैं। अब वे अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं। इसे विधानसभा सहित केंद्र शासित प्रदेश के रूप में परिभाषित किया गया है। यह मांग वार्ता प्रक्रिया को जटिल बना रही है।
हिंसा के पीछे के आरोप और प्रतिअारोप
इस हिंसामें 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। 60,000 से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। मैतेई समूहों का आरोप है कि SoO उग्रवादी हथियारबंद हमलों में शामिल थे। वहीं SoO संगठन राज्य सरकार पर राज्य मशीनरी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हैं। दोनों पक्षों के बीच यह तनाव बना हुआ है।
