Delhi News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से अलग-अलग मुलाकात की। यह मुलाकात दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में हुई। यह पहली बार था जब मोदी ने अपनी हालिया यूके और मालदीव यात्रा के बाद राष्ट्रपति से भेंट की। मुलाकात का कारण स्पष्ट नहीं हुआ। संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के विरोध के बीच यह मुलाकात चर्चा में रही।
संसद में गतिरोध का माहौल
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू हुआ। इस दौरान बिहार में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) पर विपक्ष ने चर्चा की मांग की। इस मुद्दे ने संसद में गतिरोध पैदा किया। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा को छोड़कर, सत्र में कोई खास प्रगति नहीं हुई। लोकसभा ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को छह महीने और बढ़ाने की मंजूरी दी। हालांकि, राज्यसभा में इस पर चर्चा अभी बाकी है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की स्थिति
मणिपुर में फरवरी 2025 से राष्ट्रपति शासन लागू है। लोकसभा ने पिछले सप्ताह इसे छह महीने और बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया। राज्यसभा में इस मुद्दे पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ। विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के संशोधन पर सवाल उठाए। उनका दावा है कि विपक्ष समर्थक मतदाताओं को हटाया जा रहा है। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को खारिज किया है।
अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर चर्चा की संभावना
मोदी और शाह की मुलाकात का समय महत्वपूर्ण है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के निर्यात पर 25% टैरिफ की घोषणा की। इसके अलावा, रूस से सैन्य उपकरण और तेल खरीदने पर भी दंड की बात कही। इस पृष्ठभूमि में, राष्ट्रपति भवन में हुई मुलाकात में आर्थिक और रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा की संभावना है। राष्ट्रपति भवन की आधिकारिक वेबसाइट पर मुलाकात की तस्वीरें साझा की गईं।
उपराष्ट्रपति चुनाव की अटकलें
मुलाकात के समय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की खबरें चर्चा में थीं। इससे उपराष्ट्रपति चुनाव की संभावना बढ़ गई है। हालांकि, मुलाकात का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया। राष्ट्रपति भवन ने केवल सोशल मीडिया पर मुलाकात की जानकारी दी। राजनीतिक गलियारों में इसे कैबिनेट फेरबदल या बड़े नीतिगत फैसले से जोड़ा जा रहा है। यह मुलाकात 5 अगस्त की तारीख से पहले हुई, जो पहले भी बड़े फैसलों के लिए चर्चित रही है।
5 अगस्त का प्रतीकात्मक महत्व
5 अगस्त का दिन मोदी सरकार के लिए खास रहा है। 2019 में इस दिन राष्ट्रपति शासन से संबंधित जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म किया गया। 2020 में इसी दिन अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन हुआ। अब 2025 में यह तारीख फिर से चर्चा में है। राजनीतिक विश्लेषक इस मुलाकात को किसी बड़े फैसले का संकेत मान रहे हैं। संसद सत्र के बीच यह मुलाकात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
विपक्ष का बढ़ता दबाव
विपक्ष ने बिहार में मतदाता सूची के संशोधन पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि यह प्रक्रिया पक्षपातपूर्ण है। चुनाव आयोग ने इन दावों को खारिज किया, लेकिन विपक्ष संसद में इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है। राष्ट्रपति भवन में हुई मुलाकात के बाद विपक्ष ने इसे राजनीतिक रणनीति का हिस्सा बताया। संसद सत्र में गतिरोध के बीच यह मुलाकात और भी चर्चा में आ गई।
