New Delhi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) अपने विदेश दौरे के पहले चरण में जॉर्डन पहुंचे हैं। यहां उनका भव्य और शाही स्वागत किया गया। जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने बेहद गर्मजोशी से उनकी मेजबानी की। किंग अब्दुल्ला की पहचान सिर्फ एक राजा के तौर पर नहीं है। वे इस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद के 41वें सीधे वंशज माने जाते हैं। PM Modi की इस यात्रा ने दोनों देशों के रिश्तों को नई मजबूती दी है।
पैगंबर मोहम्मद के वंशज हैं किंग अब्दुल्ला
किंग अब्दुल्ला द्वितीय हाशमी शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं। यह वंश पैगंबर मोहम्मद के परदादा हाशिम बिन अब्द मुनाफ से जुड़ा हुआ है। वे पैगंबर की बेटी फातिमा और हजरत अली के जरिए उनके वंशज माने जाते हैं। इस्लामी इतिहास में इस वंश का बहुत सम्मान है। PM Modi का स्वागत करने वाले किंग अब्दुल्ला इसी महान विरासत का हिस्सा हैं।
मक्का से जॉर्डन तक का सफर
हाशमी परिवार का इतिहास काफी पुराना है। इस परिवार ने वर्ष 1201 से 1925 तक मक्का और हिजाज क्षेत्र पर शासन किया था। किंग अब्दुल्ला के परदादा शरीफ हुसैन ने 1916 में उस्मानी शासन के खिलाफ विद्रोह किया था। इसके बाद आधुनिक अरब देशों की नींव पड़ी। साल 1946 में जॉर्डन एक स्वतंत्र देश बना। किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने 1999 में अपने पिता की मृत्यु के बाद सत्ता संभाली थी।
अरबों की दौलत के मालिक
जॉर्डन के राजा की संपत्ति भी चर्चा का विषय है। एक अनुमान के मुताबिक, किंग अब्दुल्ला द्वितीय करीब 6,200 करोड़ रुपये के मालिक हैं। उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा विदेशी निवेश और रियल एस्टेट से आता है। किंग के पास अमेरिका के कैलिफोर्निया और वॉशिंगटन में महंगी संपत्तियां हैं। इसके अलावा लंदन के पॉश इलाकों में भी उनके आलीशान घर हैं। शाही परिवार 12,000 करोड़ रुपये के रेड सी प्रोजेक्ट से भी जुड़ा है।
भारत के लिए क्यों अहम है यह दौरा?
PM Modi का यह जॉर्डन दौरा कूटनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है। यह यात्रा भारत और जॉर्डन के ऐतिहासिक संबंधों को नया आयाम देगी। किंग अब्दुल्ला पश्चिम एशिया के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं। उनका और PM Modi का मिलना वैश्विक राजनीति में एक बड़ा संदेश देता है। यह मुलाकात रणनीतिक और सांस्कृतिक दोनों लिहाज से खास है।
