World News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने वैश्विक राजनीति में नया मोड़ पैदा किया है। चीन के प्रतिष्ठित थिंक टैंक ताईहे इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो एइनार टैंगन ने इस पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ दबाव भारत जैसे देशों को कम आंकने की भूल है।
अमेरिकी टैरिफ का विरोध
टैंगन के अनुसार ट्रंप ने 180 देशों पर टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की। भारत पर 50% टैरिफ लगाकर उसे मजबूर करना चाहा। लेकिन भारत की विशाल बाजार और श्रमशक्ति ने इस दबाव का मुकाबला किया। मोदी के नेतृत्व ने अमेरिका की चिंताएं बढ़ा दी हैं।
वैश्विक संतुलन में बदलाव
मोदी और शी जिनपिंग की बैठक ने ट्रंप के टैरिफ प्रभावित देशों को संदेश दिया। भारत इस स्थिति को अवसर में बदल सकता है। एससीओ और ब्रिक्स में संतुलनकारी शक्ति बनकर उभर सकता है। यह अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।
भारत की बढ़ती भूमिका
टैंगन ने कहा कि यह मोदी के लिए वैश्विक नेतृत्व की बागडोर संभालने का मौका है। भारत का गुटनिरपेक्ष नेतृत्व अमेरिकी योजनाओं को प्रभावित कर सकता है। यही डर वॉशिंगटन को परेशान कर रहा है। भारत की स्टैंड लेने की क्षमता ने वैश्विक समीकरण बदल दिए हैं।
