National Desk: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आकाशवाणी के माध्यम से ‘मन की बात’ कार्यक्रम के 127वें एपिसोड में देशवासियों को संबोधित किया। इस एपिसोड में पीएम मोदी ने छठ पर्व के महत्व से लेकर भारतीय कॉफी की गुणवत्ता तक कई विषयों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने देश की एकजुटता, पर्यावरण संरक्षण और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने जैसे मुद्दों पर चर्चा की।
पीएम मोदी ने कार्यक्रम की शुरुआत छठ महापर्व से करते हुए इसे भारत की एकता और सांस्कृतिक समरसता का सुंदर उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि यह पर्व संस्कृति, प्रकृति और समाज के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने लोगों से आग्रह किया कि अवसर मिलने पर सभी को इस उत्सव में भाग लेना चाहिए, क्योंकि यह सामाजिक एकता का अनूठा प्रतीक है।
कॉफी पर विशेष चर्चा
प्रधानमंत्री ने अपने चाय प्रेम के बारे में चर्चा करते हुए मजाकिया अंदाज में कहा कि आज वे कॉफी पर बात करना चाहते हैं। उन्होंने ओडिशा की प्रसिद्ध कोरापुट कॉफी का विशेष रूप से जिक्र किया और इसके लाजवाब स्वाद की तारीफ की। पीएम मोदी ने बताया कि कॉफी की खेती ने किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की कॉफी अब वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पूर्वोत्तर राज्यों में कॉफी की विविध किस्में देश की कृषि क्षमता का बेहतरीन उदाहरण हैं। इससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है और रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं।
ऑपरेशन सिंदूर पर गर्व
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र करते हुए कहा कि इस मिशन ने प्रत्येक भारतीय को गर्व से भर दिया है। उन्होंने बताया कि जिन इलाकों में कभी माओवादी आतंक का साया था, वहां अब रोशनी की चमक दिखाई दे रही है। इससे वहां के नागरिकों का जीवन सुरक्षित और बेहतर हुआ है।
सुरक्षा बलों के प्रयासों से इन क्षेत्रों में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है। अब इलाके के लोग मुख्यधारा में जुड़ रहे हैं और शांति का जीवन जी रहे हैं। इससे पूरे क्षेत्र में सकारात्मक माहौल बना है।
जीएसटी बचत और स्वदेशी खरीदारी
पीएम मोदी ने कहा कि जीएसटी बचत उत्सव को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला है। त्योहारों के मौसम में स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इससे स्थानीय उद्योगों और कारीगरों को लाभ मिला है।
प्रधानमंत्री ने बताया कि देशवासियों ने खाद्य तेल की खपत में दस प्रतिशत कमी लाने की अपील पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। यह जनभागीदारी से बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। लोगों ने इस अभियान को पूरे उत्साह के साथ अपनाया है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रयास
प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु के इंजीनियर कपिल शर्मा के कार्यों की सराहना की। उन्होंने बताया कि शर्मा ने झीलों के पुनर्जीवन का अभियान शुरू किया है। उनकी टीम ने अब तक चालीस कुओं और छह झीलों को पुनर्जीवित किया है।
इस कार्य में उन्होंने नगर निगमों और स्थानीय नागरिकों को भी जोड़ा है। इससे जल संरक्षण को बढ़ावा मिला है और भूजल स्तर में सुधार आया है। यह पहल समुदायिक भागीदारी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
भारतीय नस्ल के कुत्तों को अपनाने की अपील
पीएम मोदी ने एक बार फिर भारतीय नस्ल के कुत्तों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि सीमा सुरक्षा बल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल जैसी एजेंसियों ने अपने दस्तों में देशी नस्ल के कुत्तों की संख्या बढ़ाई है।
ये कुत्ते देश की जलवायु और परिवेश के अधिक अनुकूल होते हैं। इनकी सहनशक्ति और बुद्धिमत्ता भी उल्लेखनीय होती है। नागरिकों से भी इन्हें अपनाने का आह्वान किया गया।
मैंग्रोव संरक्षण के सकारात्मक परिणाम
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैंग्रोव संरक्षण से पर्यावरण में सुधार साफ दिखाई दे रहा है। इन क्षेत्रों में डॉल्फिन, केकड़े और अन्य जलीय जीवों की संख्या बढ़ी है। प्रवासी पक्षियों की आवक भी अधिक हो रही है।
इससे स्थानीय मछुआरों की आय में वृद्धि हुई है। पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन में सुधार आया है। यह पर्यावरण संरक्षण और आजीविका दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है।
रन फॉर यूनिटी में भाग लेने का आह्वान
पीएम मोदी ने लोगों से तीन अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर आयोजित ‘रन फॉर यूनिटी’ में भाग लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल आधुनिक भारत की सबसे महान विभूतियों में से एक थे।
इस कार्यक्रम के माध्यम से देश की एकता और अखंडता का संदेश फैलाया जाएगा। यह देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया है। सभी नागरिकों को इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।
वंदे मातरम् के 150 वर्ष
प्रधानमंत्री ने बताया कि सात नवंबर को ‘वंदे मातरम्’ की रचना के एक सौ पचास वर्ष पूरे हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस गीत में मातृभूमि के प्रति गहरा सम्मान और एकता की भावना निहित है।
उन्होंने याद दिलाया कि 1896 में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे स्वरबद्ध किया था। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रेरणा का स्रोत रहा है। आज भी यह देशभक्ति की भावना जगाता है।
