New Delhi News: अमेरिकी संसद की एक कमिटी ने जेफरी एपस्टीन से जुड़े नए दस्तावेज जारी किए हैं। इन दस्तावेजों में भारतीय प्रधानमंत्री PM Modi (पीएम मोदी) का नाम सामने आया है। एपस्टीन ने PM Modi, बीजेपी नेताओं और बड़े उद्योगपतियों के साथ संबंध बनाने की कोशिश की थी। यह प्रयास भू-राजनीतिक प्रभाव डालने के लिए था। रिपोर्ट के मुताबिक, इसका मकसद चीन के खिलाफ अमेरिका और भारत की साझेदारी को बढ़ाना था। इन खुलासों ने 2025 में भारत की राजनीति में हलचल बढ़ा दी है। हालांकि, इन दस्तावेजों में PM Modi या किसी भारतीय पर किसी तरह के अपराध का आरोप नहीं है।
चीन के खिलाफ बड़ी रणनीति
साल 2019 में PM Modi की चुनावी जीत के बाद एपस्टीन काफी सक्रिय हो गया था। उसने डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व रणनीतिकार स्टीव बैनन और PM Modi के बीच मुलाकात कराने की कोशिश की थी। बैनन ने एपस्टीन को मैसेज में लिखा था कि वह भारत के लिए PM Modi पर एक शो करना चाहते हैं। जवाब में एपस्टीन ने कहा कि PM Modi का पूरा फोकस चीन को रोकने पर है। एपस्टीन ने दावा किया था कि दोनों नेता एक साझा टार्गेट पर काम कर सकते हैं। उसने अपने मैसेज में लिखा था, “मोदी तैयार हैं।”
हरदीप पुरी से मुलाकात के दावे
एपस्टीन के निजी कैलेंडर में केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का भी नाम है। दस्तावेजों के अनुसार, साल 2014 से 2017 के बीच दोनों की कम से कम पांच मुलाकातें हुई थीं। उस समय हरदीप पुरी संयुक्त राष्ट्र से जुड़े कार्यों में व्यस्त थे। एक ईमेल में कुछ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल हुआ है, लेकिन वह सीधे तौर पर पुरी से नहीं जुड़ा है। हरदीप पुरी ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की है। वहीं, बीजेपी ने इसे एपस्टीन की ‘नेम ड्रॉपिंग’ यानी बड़े नामों का इस्तेमाल करने की आदत बताया है।
अनिल अंबानी और इसराइल कनेक्शन
एपस्टीन और अनिल अंबानी के बीच भी ईमेल का आदान-प्रदान हुआ था। मार्च 2017 में अनिल अंबानी ने एपस्टीन को एक लेख भेजा था। इसमें PM Modi की अमेरिका यात्रा को लेकर सवाल था। अंबानी ने एपस्टीन को जानकारी देते हुए मेल किया था। इसके जवाब में एपस्टीन ने लिखा था, “भारत और इसराइल अहम हैं, ईमेल पर बात नहीं होगी।” यह वही दौर था जब रिलायंस डिफेंस ने इसराइल की एक कंपनी के साथ बड़ा रक्षा सौदा किया था।
दस्तावेजों पर राजनीतिक आर-पार
इन नए खुलासों के बाद भारत में सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। कांग्रेस ने PM Modi की सरकार से इस मुद्दे पर सफाई मांगी है। विपक्षी दल इसे गंभीर मुद्दा बता रहे हैं। दूसरी ओर, सत्ताधारी बीजेपी ने इसे पूरी तरह से झूठी खबर करार दिया है। प्रशांत भूषण जैसे कार्यकर्ताओं ने इन ईमेल को सोशल मीडिया पर साझा किया है। ये दस्तावेज बताते हैं कि एपस्टीन वैश्विक नेताओं के जरिए अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता था। अमेरिकी वेबसाइट पर ये सभी फाइलें अब सार्वजनिक हैं।
