Mumbai News: ब्रिटेन के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री सर कीर स्टार्मर अपने दो दिवसीय भारत दौरे पर मुंबई पहुंच गए हैं। इस यात्रा में उनके साथ ब्रिटेन के 125 प्रमुख सीईओ, उद्यमी और शिक्षाविद् शामिल हैं। यह दौरा भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। स्टार्मर की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आमने-सामने की बैठक होगी।
यह यात्रा मुख्य रूप से भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) पर केंद्रित है। दोनों देशों के बीच यह समझौता जुलाई में हस्ताक्षरित किया गया था। प्रधानमंत्री स्टार्मर ने इसे सिर्फ कागज का टुकड़ा नहीं बल्कि विकास का लॉन्चपैड बताया है। उनका कहना है कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापार तेज और सस्ता होगा।
व्यापारिक रिश्तों पर जोर
स्टार्मर ने कहा कि भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। ऐसे में ब्रिटेन के लिए यहां मौजूद अवसरों की कोई तुलना नहीं है। उन्होंने मुंबई में ब्रिटिश व्यवसाय का झंडा फहराने की बात कही। उनके मुताबिक, भारत में ब्रिटिश कंपनियों के विकास से ब्रिटेन के लोगों को घर पर अधिक विकल्प, अवसर और नौकरियां मिलेंगी।
इस दौरे में दोनों नेता भारत-ब्रिटेन सीईटीए द्वारा प्रस्तुत अवसरों पर उद्योग जगत के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे। इस व्यापक व्यापार समझौते को किसी भी देश द्वारा किए गए सबसे सुरक्षित समझौतों में से एक माना जा रहा है। व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल की मौजूदगी इस बात का संकेत है कि ब्रिटेन भारत बाजार में गंभीर दिलचस्पी रखता है।
वीजा समझौते से इनकार
भारत यात्रा शुरू करने से पहले, प्रधानमंत्री स्टार्मर ने किसी भी तरह के वीजा समझौते की संभावना से स्पष्ट इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह योजना का हिस्सा नहीं है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य पहले से हस्ताक्षरित मुक्त व्यापार समझौते का लाभ उठाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यवसायों को इस समझौते से लाभ हो रहा है।
स्टार्मर ने स्पष्ट किया कि वीजा कोई मुद्दा नहीं है और ब्रिटेन की आव्रजन नीतियां सख्त बनी रहेंगी। यह बयान उनकी सरकार की आव्रजन पर कड़े रुख को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि यह दौरा शुद्ध रूप से आर्थिक और व्यापारिक हितों पर केंद्रित है।
भव्य स्वागत और उम्मीदें
मुंबई में ब्रिटिश प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत किया गया। इस व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन के सबसे प्रमुख औद्योगिक घरानों के प्रमुख शामिल हैं। साथ ही अग्रणी उद्यमी, विश्वविद्यालयों के कुलपति और सांस्कृतिक संस्थानों के अधिकारी भी इस दल का हिस्सा हैं। यह विविध प्रतिनिधिमंडल द्विपक्षीय सहयोग के विस्तार की उम्मीद जगाता है।
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह चर्चा न केवल व्यापार बल्कि शिक्षा और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर भी केंद्रित होगी। दोनों देशों के बीच मजबूत ऐतिहासिक संबंध हैं और यह दौरा उन्हें एक नए आयाम तक ले जाने का अवसर प्रदान करता है।
आर्थिक सहयोग की नई संभावनाएं
प्रधानमंत्री स्टार्मर का यह दौरा भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक सहयोग को गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ब्रिटिश कंपनियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन गई है। ब्रिटेन के व्यवसाय भारत में निवेश के नए अवसर तलाश रहे हैं।
इस बैठक में दोनों नेता वैश्विक आर्थिक चुनौतियों पर भी चर्चा करने की उम्मीद कर रहे हैं। दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं और वैश्विक मामलों में सहयोग करते हैं। यह व्यापारिक साझेदारी दोनों राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने में मदद करेगी। इससे नौकरियों के नए अवसर पैदा होंगे और आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
