Himachal News: मणिमहेश यात्रा 2025 में तीर्थयात्रा को सुव्यवस्थित करने के लिए भरमौर प्रशासन ने कड़े कदम उठाए। यह यात्रा 16 से 31 अगस्त तक चलेगी। डल झील की पवित्रता बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देश लागू होंगे। झील के आसपास लंगर लगाने पर रोक है। यात्रा मार्ग पर जाम, गंदगी और जल संकट की समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जाएगी।
डल झील के आसपास लंगर पर रोक
तीर्थयात्रा के दौरान डल झील के जल प्रवाह क्षेत्र में कोई लंगर नहीं लगेगा। प्रशासन ने तय किया कि लंगर झील से दूर, विपरीत जलप्रवाह क्षेत्र में लगाए जाएंगे। यह फैसला झील की पवित्रता और पर्यावरण संरक्षण के लिए लिया गया। पिछले वर्षों में गंदगी और जलस्रोतों पर दबाव से आस्था को ठेस पहुंची। प्रशासन का लक्ष्य श्रद्धालुओं की सुविधा और प्रकृति का संरक्षण है।
भरमौर में लंगरों पर प्रतिबंध
भरमौर में ददबां और पट्टी के बीच डेढ़ किलोमीटर के मार्ग पर लंगर नहीं लगेंगे। पिछले अनुभवों से पता चला कि इस क्षेत्र में लंगरों से यातायात बाधित हुआ और जलस्रोतों पर दबाव बढ़ा। इससे पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ा। प्रशासन ने वैकल्पिक स्थानों पर लंगरों की व्यवस्था करने का निर्णय लिया। हिमाचल सरकार ने इसे लागू करने की जिम्मेदारी ली है।
पर्यावरण संरक्षण पर जोर
डल झील एक संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र है। लापरवाही से इसके अस्तित्व को खतरा है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों के तहत तीर्थयात्रा में सख्त नियम लागू होंगे। प्रशासन, पुलिस, वन विभाग और स्वयंसेवी संस्थाएं मिलकर व्यवस्था को सुचारू बनाएंगी। लंगर आयोजकों से पर्यावरण हित में सहयोग की अपील की गई है। श्रद्धालुओं की सुविधा के साथ झील की स्वच्छता सुनिश्चित होगी।
यात्रा की तैयारी
तीर्थयात्रा को सुरक्षित और भक्तिमय बनाने के लिए भरमौर प्रशासन तैयार है। लंगर नए स्थानों पर व्यवस्थित होंगे, ताकि पर्यावरण को नुकसान न हो। यात्रा न्यास और अन्य विभाग मिलकर श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करेंगे। डल झील की पवित्रता और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। प्रशासन का लक्ष्य यात्रा को स्वच्छ और व्यवस्थित बनाना है।
