Himachal News: विधायकों के वेतन को लेकर सोशल मीडिया पर होने वाली चर्चाओं के बीच एक रोचक तथ्य सामने आया है। प्रदेश के विधायकों को अधिकारियों की तुलना में कम वेतन मिलता है। वर्तमान में एक विधायक को लगभग 2.95 लाख रुपये मासिक वेतन मिलता है। जबकि वरिष्ठ अधिकारी इससे कहीं अधिक वेतन पाते हैं।
प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव को 3,46,400 रुपये मासिक वेतन मिलता है। जिला स्तर पर कार्यरत मुख्य चिकित्सा अधिकारी को 3.22 लाख रुपये से अधिक वेतन प्राप्त होता है। यह राशि विधायकों के वेतन से काफी अधिक है। लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता को भी 2.73 लाख रुपये तक वेतन मिलता है।
शिक्षा क्षेत्र में उच्च वेतन
शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत पेशेवरों को भी उच्च वेतन मिलता है। मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर और प्रधानाचार्य को अधिकतम 3,21,472 रुपये वेतन मिलता है। कॉलेज प्रिंसिपल्स को 2.50 लाख से तीन लाख रुपये के बीच वेतन प्राप्त होता है। विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर को 3,19,040 रुपये मासिक वेतन दिया जाता है।
उप-कुलपति को प्रोफेसर से चार हजार रुपये अधिक मिलते हैं। कुलपति को पांच हजार रुपये अतिरिक्त वेतन प्रदान किया जाता है। राज्य सरकार के सचिव भी कम से कम 2.27 लाख रुपये प्रति माह वेतन पाते हैं। ये सभी आंकड़े विधायकों के वेतन से तुलना करने पर रोचक तस्वीर पेश करते हैं।
विधायकों को अतिरिक्त खर्च
विधायकों को अपने खर्चे स्वयं वहन करने होते हैं। उन्हें अपना बिजली और पानी का बिल खुद चुकाना होता है। आवास का किराया भी स्वयं देना पड़ता है। इनकम टैक्स की राशि भी विधायकों को स्वयं जमा करनी होती है। पहले विधायकों का टैक्स राज्य सरकार द्वारा दिया जाता था।
विधायकों को जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए दिन-रात कार्य करना होता है। वे विकास योजनाओं की निगरानी और क्रियान्वयन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। जनता के हर फोन कॉल और शिकायत पर ध्यान देना उनकी जिम्मेदारी है। इसके बावजूद उनका वेतन अधिकारियों से कम है।
वेतन संरचना पर सवाल
वर्तमान वेतन संरचना पर कई सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों और शिक्षाविदों को सम्मानजनक वेतन मिल रहा है। लेकिन जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों का वेतन इससे कम है। विधायक पूरे प्रदेश की जनता के प्रति जवाबदेह होते हैं। उनकी भूमिका और जिम्मेदारियां अधिक व्यापक हैं।
बार-बार विधायकों के वेतन पर ही सार्वजनिक बहस होती है। अधिकारियों के वेतन पर शायद ही कभी चर्चा होती है। यह स्थिति एक विषमता को दर्शाती है। वेतन संरचना में पारदर्शिता की आवश्यकता है। सभी हितधारकों के लिए उचित मानदंड निर्धारित होने चाहिए।
