Patna News: पटना की एक विशेष अदालत ने एक अबोध बालिका के साथ लैंगिक हमले के मामले में एक युवक को छह साल की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश दिनकर कुमार ने अशोक साह उर्फ करिया को दोषी करार दिया। अदालत ने दोषी पर एक लाख दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना नहीं भरने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा का प्रावधान किया गया है।
मामले की विस्तृत जानकारी
यह मामला पटना जिले के दुल्हिन बाजार थाना क्षेत्र के भरतपुरा गांव का है। वर्ष 2023 में दोषी ने एक नाबालिग बालिका के साथ छेड़छाड़ और लैंगिक हमला किया था। पीड़िता के परिवार ने दुल्हिन बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट की विशेष अदालत में हुई।
अदालत का फैसला
विशेष न्यायाधीश दिनकर कुमार ने भारतीय दंड विधान और पॉक्सो एक्ट की relevant धाराओं के तहत सजा सुनाई। अदालत ने पीड़िता को एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश पटना जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दिया। यह मुआवजा दोषी द्वारा दिए गए जुर्माने की राशि से अलग है।
अभियोजन पक्ष के सबूत
अपर लोक अभियोजक नवल किशोर प्रसाद ने बताया कि अभियोजन पक्ष ने मामले में छह गवाह पेश किए थे। सभी गवाहों के बयान अदालत में दर्ज किए गए थे। गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया। अदालत ने सभी सबूतों का संज्ञान लेते हुए यह फैसला सुनाया।
लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत इस तरह के मामलों की सुनवाई विशेष अदालतों में होती है। इस अधिनियम का उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण और अपराधों से बचाना है। अधिनियम के तहत दोषियों को कड़ी सजा का प्रावधान है।
पीड़िता को मिलेगा मुआवजा
अदालत ने पीड़िता को मुआवजा दिलाने का निर्देश दिया है। पटना जिला विधिक सेवा प्राधिकार इस मुआवजे की राशि पीड़िता को उपलब्ध कराएगा। मुआवजे की यह राशि दोषी द्वारा भरे जाने वाले जुर्माने से अलग है। भारत में पॉक्सो एक्ट के तहत पीड़ितों को मुआवजा दिलाने का प्रावधान है।
इस मामले में अदालत ने त्वरित सुनवाई कर न्याय सुनिश्चित किया है। बाल यौन शोषण के मामलों में त्वरित सुनवाई जरूरी होती है। पॉक्सो एक्ट के तहत मामलों का निपटारा शीघ्रता से किया जाना चाहिए। इससे पीड़ितों को न्याय मिलने में आसानी होती है।
बाल संरक्षण कानून का महत्व
भारत में बच्चों के यौन शोषण के ख़िलाफ़ कानून सख्त हैं। पॉक्सो एक्ट ऐसे अपराधों ख़िलाफ़ कड़ी सजा का प्रावधान करता है। इस कानून का उद्देश्य बच्चों को सुरक्षा प्रदान करना है। समाज में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों against जागरूकता बढ़ाना भी जरूरी है।
अदालतों द्वारा ऐसे फैसले समाज के लिए एक संदेश देते हैं। यह संदेश है कि बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। कानून का डट कर पालन होना चाहिए। बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना समाज की जिम्मेदारी है।
