Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के च्यवनप्राश विज्ञापन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पतंजलि को तीन दिनों के भीतर विवादित विज्ञापन हटाने का आदेश दिया है। इस विज्ञापन में अन्य च्यवनप्राश ब्रांडों को ‘धोखा’ बताया गया था। जस्टिस तेजस करिया ने डाबर इंडिया की याचिका पर यह आदेश पारित किया।
कोर्ट ने पतंजलि को सभी मीडिया प्लेटफॉर्म से विज्ञापन हटाने का निर्देश दिया। इसमें टेलीविजन चैनल, ओटीटी प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया शामिल हैं। पतंजलि को प्रिंट मीडिया और इंटरनेट से भी विज्ञापन हटाना होगा। कोर्ट ने कहा कि विज्ञापन पूरी च्यवनप्राश श्रेणी का अपमान करता है।
डाबर के आरोप
डाबर इंडिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। कंपनी ने पतंजलि के विज्ञापन को अपमानजनक बताया। विज्ञापन में बाबा रामदेव उपभोक्ताओं को चेतावनी देते दिखाई देते हैं। वे कहते हैं कि च्यवनप्राश के नाम पर लोगों को ठगा जा रहा है। पतंजलि के उत्पाद को असली च्यवनप्राश बताया गया है।
डाबर ने कोर्ट में बताया कि उनका ब्रांड 1949 से बाजार में है। डाबर च्यवनप्राश की बाजार में 61 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। कंपनी का कहना था कि विज्ञापन जानबूझकर उनके उत्पाद को बदनाम कर रहा है। इससे आयुर्वेदिक उत्पादों पर लोगों का विश्वास कम हो सकता है।
कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस करिया ने कहा कि पतंजलि अपने उत्पाद की तुलना कर सकती है। लेकिन दूसरे उत्पादों को ‘धोखा’ नहीं कह सकती। कोर्ट ने कहा कि धोखा शब्द का अर्थ धोखाधड़ी और छल होता है। पतंजलि के वकील ने दावा किया था कि धोखा का मतलब साधारण है।
लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार नहीं किया। अदालत ने कहा कि विज्ञापन पूरी उत्पाद श्रेणी के खिलाफ है। पतंजलि दावा कर सकती है कि उसका उत्पाद सबसे अच्छा है। लेकिन दूसरे ब्रांडों को धोखा नहीं कह सकती। यह अनुचित व्यापारिक प्रथा मानी जाएगी।
विज्ञापन विवाद
पतंजलि का विवादित विज्ञापन हाल ही में टेलीविजन और सोशल मीडिया पर दिख रहा था। इसमें बाबा रामदेव सीधे उपभोक्ताओं को संबोधित करते दिखाई देते हैं। वे कहते हैं कि ज्यादातर च्यवनप्राश ब्रांड लोगों को ठग रहे हैं। केवल पतंजलि का उत्पाद ही असली आयुर्वेदिक शक्ति देता है।
डाबर ने इस विज्ञापन को गलत और भ्रामक बताया। कंपनी का कहना था कि इससे उनकी साख को नुकसान पहुंच रहा है। च्यवनप्राश बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ने के बाद ऐसे विवाद सामने आ रहे हैं। दोनों कंपनियों के बीच कानूनी लड़ाई जारी रह सकती है।
