शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

पाताल लोक: क्या वैज्ञानिक शोध और प्राचीन मान्यताएं खुलासा करती हैं? जानें क्या है सच

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India News: पाताल लोक की कथाएं भारतीय पौराणिक ग्रंथों में गहराई से समाई हुई हैं। यह काल्पनिक स्थान धरती के नीचे स्थित माना जाता है, जहां नाग और दैत्य निवास करते हैं। आधुनिक विज्ञान और पुरातात्विक खोजों ने इस रहस्य पर से पर्दा उठाने का प्रयास किया है। कई स्थानों को इसका प्रवेश द्वार माना जाता है, लेकिन अभी तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।

भारतीय पुराणों के अनुसार, पाताल लोक धरती से सत्तर हज़ार योजन नीचे स्थित है। इसका वर्णन एक भव्य और समृद्ध नगरी के रूप में किया गया है। किंवदंतियों में कहा गया है कि भगवान विष्णु के वामन अवतार ने राजा बलि को पराजित किया था। उसके बाद राजा बलि पाताल लोक के स्वामी बन गए थे। मध्य अमेरिकी देश बेलीज को उनके वंशजों का घर कहा जाता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो पृथ्वी की आंतरिक संरचना अत्यंत जटिल है। ‘फिजिक्स ऑफ द अर्थ एंड प्लानेट्री इंटीरियर्स’ जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, पृथ्वी का केंद्र भीषण गर्मी और दबाव वाला क्षेत्र है। यहां पिघले हुए और अर्द्ध-ठोस पदार्थों का साम्राज्य है। वर्तमान तकनीक के साथ वहां पहुंचना असंभव है, इसलिए इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ भी कह पाना मुश्किल है।

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हाल की पुरातात्विक खोजों ने इस चर्चा को नया जीवन दिया है। होंडुरास में मिले प्राचीन शहर सियुदाद ब्लांका के अवशेषों में हनुमान जी की मूर्तियां मिली हैं। इस वजह से कई लोग इसे रामायण में वर्णित पाताल पुरी से जोड़कर देख रहे हैं। मेक्सिको की युकाटन प्रायद्वीप का नाम भी यक्ष शब्द से लिया गया प्रतीत होता है।

वियतनाम की सोन डूंग गुफा दुनिया की सबसे बड़ी गुफा है। इसके अंदर एक स्वतंत्र पारिस्थितिकी तंत्र सक्रिय है। यहां अपनी नदियां, जंगल और यहां तक कि बादल भी मौजूद हैं। इसकी विशालता और रहस्यमय प्रकृति के कारण कुछ लोग इसे पाताल लोक का प्रवेश द्वार मानते हैं। साल 2009 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था।

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में पातालकोट नाम की एक गहरी घाटी है। यह स्थान समुद्र तल से लगभग तीन हज़ार फीट नीचे है। यहां सूर्य का प्रकाश बहुत कम पहुंच पाता है, जिससे दोपहर के बाद ही अंधेरा छा जाता है। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहीं से माता सीता धरती में समाई थीं और हनुमान जी पाताल लोक गए थे।

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उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित सीतावनी और उत्तर प्रदेश के भदोही से भी ऐसी ही किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। इन सभी स्थानों पर माता सीता के धरती में समाने की घटना का उल्लेख मिलता है। ये स्थान अपने नाम और लोककथाओं के कारण पाताल लोक से जुड़े हुए प्रतीत होते हैं।

इन सभी तथ्यों के बावजूद, पाताल लोक का अस्तित्व वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हो पाया है। यह एक दिलचस्प विषय बना हुआ है जो पौराणिक आख्यानों और आधुनिक अन्वेषणों के बीच एक सेतु का काम करता है। भविष्य में होने वाली खोजें ही इस रहस्य के बारे में और अधिक जानकारी दे पाएंगी।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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