National News: संसद का शीतकालीन सत्र एक दिसंबर से शुरू होगा। यह सत्र 19 दिसंबर तक चलेगा और इसमें 15 बैठकें आयोजित होंगी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने इसकी जानकारी दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
यह सत्र विधायी कार्यों और राजनीतिक रणनीतियों दोनों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पिछले मानसून सत्र में हंगामे के कारण कार्यवाही प्रभावित हुई थी। इस बार सरकार और विपक्ष के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।
पिछले सत्र में हुआ था हंगामा
मानसून सत्र में संसद की कार्यवाही हंगामों में डूब गई थी। राज्यसभा के तत्कालीन उपसभापति जगदीप धनखड़ ने सत्र के पहले दिन इस्तीफा दे दिया था। बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण विवाद ने पूरे सत्र को प्रभावित किया था।
लोकसभा में 120 घंटे चर्चा के लिए तय थे लेकिन केवल 37 घंटे काम हो सका। राज्यसभा में महज 41 घंटे की चर्चा संभव हुई। इसके बावजूद संसद ने 27 विधेयक पारित किए। गिरफ्तार सांसदों को पद से हटाने वाला विधेयक संयुक्त समिति के पास भेजा गया।
विपक्ष की तैयारियां
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद विपक्ष का रुख और आक्रामक रहने की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार विपक्ष मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहा है। देश के कई राज्यों में मतदाता सूची में अनियमितताओं के आरोप लगे हैं।
विपक्षी दल सरकार से इस मुद्दे पर जवाब तलब करेंगे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सत्र राजनीतिक रूप से काफी गर्म रह सकता है। दोनों पक्षों के बीच जोरदार बहस होने की संभावना है।
सरकार के विधेयक
सरकार इस सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने की योजना बना रही है। संविधान के 129वें और 130वें संशोधन बिल तैयार हैं। जन विश्वास विधेयक और दिवाला संहिता संशोधन भी प्रस्तावित हैं। ये विधेयक कानूनी और प्रशासनिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
संसदीय सूत्र बताते हैं कि सरकार की प्राथमिकता इन विधेयकों को शीघ्र पारित कराना है। विकास से जुड़े प्रावधानों को गति देने पर जोर दिया जाएगा। विपक्ष से रचनात्मक सहयोग की उम्मीद की जा रही है।
सत्र का राजनीतिक महत्व
यह वर्ष का अंतिम संसद सत्र होगा इसलिए इसका विशेष राजनीतिक महत्व है। सरकार विकास और विधायी सुधारों पर ध्यान केंद्रित करेगी। विपक्ष जनहित और पारदर्शिता के मुद्दों को उठाएगा। दोनों पक्षों के बीच महत्वपूर्ण बहस होने की उम्मीद है।
किरेन रिजिजू ने कहा कि यह सत्र जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने का अवसर होगा। उन्होंने रचनात्मक चर्चा की उम्मीद जताई। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यह सत्र 2025 की राजनीतिक दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
