Delhi News: संसद के शीतकालीन सत्र में सोमवार को राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को लेकर जबरदस्त बहस हुई। राष्ट्रीय गीत के 150 साल पूरे होने पर हुई चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने रहे। एनडीए नेता कांग्रेस पर राष्ट्रीय गीत का अपमान करने का आरोप लगाया। इस पर कांग्रेस नेताओं ने तीखा पलटवार किया। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने सवाल उठाया कि यह गीत किसका है और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आरएसएस ने इसे क्यों नहीं गाया।
चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। उन्होंने वंदे मातरम की 150 साल की गौरवगाथा का उल्लेख किया। पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रीय गीत का अपमान किया गया है। इस टिप्पणी पर कांग्रेस नेता नाराजगी जताई। इमरान मसूद ने कहा कि राष्ट्रीय गीत तो हमारा था, अब दूसरे उस पर दावा कर रहे हैं।
उन्होंने आरएसएस के इतिहास पर सवाल खड़े किए। मसूद ने पूछा कि 1925 में स्थापित संघ ने 1947 तक वंदे मातरम क्यों नहीं गाया। उन्होंने कहा कि उस दौर में लोगों को इस गीत को गाने पर पीटा जाता था। उन्होंने एनडीए से पूछा कि उनके किसी एक व्यक्ति का नाम बताएं जिसे पीटा गया हो या जेल भेजा गया हो।
कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप
कांग्रेस नेतापप्पू यादव ने भी सत्ता पक्ष पर कड़े हमले किए। उन्होंने कहा कि सत्ता पक्ष का वंदे मातरम से कोई लेना-देना नहीं है। यादव ने आरोप लगाया कि वे न आजादी की लड़ाई में थे, न जेल गए और न ही लाठी खाई। उन्होंने कहा कि इन लोगों का कोई इतिहास ही नहीं है।
पप्पू यादव ने इतिहास के पन्ने पलटे। उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या और हिंदू महासभा का जिक्र किया। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस के अपमान और अंग्रेजों के साथ रिश्तों का भी आरोप लगाया। यादव ने कहा कि यही लोग मुखबिरी करते थे और स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ खबर देते थे।
वंदे मातरम का ऐतिहासिक महत्व
कांग्रेस नेताने दावा किया कि रवींद्रनाथ टैगोर ने पहली बार कांग्रेस अधिवेशन में ही वंदे मातरम गाया था। इससे गीत के इतिहास में कांग्रेस की भूमिका रेखांकित की गई। यह बयान वर्तमान राजनीतिक बहस में नया मोड़ लाता है। दोनों पक्ष अपने-अपने दावों के साथ राष्ट्रीय गीत के इतिहास को स्थापित करने में जुटे हैं।
इस बहस ने संसद सत्र की दिशा बदल दी है। राष्ट्रीय प्रतीकों पर स्वामित्व की यह लड़ाई तेज होती दिख रही है। राजनीतिक दल देशभक्ति के प्रमाण के तौर पर ऐतिहासिक तथ्य पेश कर रहे हैं। वंदे मातरम पर यह विवाद अब तक जारी है।
चुनाव सुधार को लेकर भी विवाद
इसीसत्र में चुनाव सुधारों पर भी बहस हुई। कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इस पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि ये चुनाव सुधार नहीं, बल्कि चुनाव को खत्म करना है। उन्होंने कहा कि हम चुनावों को खत्म करने पर बहस करने जा रहे हैं। मसूद ने कहा कि कांग्रेस इसके लिए पूरी तरह तैयार है।
उनके इस बयान से सदन में और हलचल मच गई। चुनाव सुधार एक संवेदनशील मुद्दा है। इस पर विपक्ष की आशंकाएं स्पष्ट हो गई हैं। सरकार के प्रस्तावों को लेकर विपक्ष सतर्क दिख रहा है। राजनीतिक माहौल और तनावपूर्ण हो गया है।
संसद में यह बहस अगले कई दिनों तक चलने की उम्मीद है। दोनों पक्षों के बीच तीखे तेवर देखने को मिल रहे हैं। राष्ट्रीय प्रतीकों की राजनीति इस सत्र का मुख्य एजेंडा बन गई है। देशभक्ति और इतिहास की व्याख्या को लेकर यह टकराव जारी रहेगा।
