Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश के एक स्कूल में शिक्षक के क्लासरूम में नशे की हालत में आने का मामला सामने आया है। अभिभावकों ने घटना का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। इसके बाद शिक्षा विभाग ने तत्काल जांच शुरू कर दी है और शिक्षक को कक्षा से हटा दिया गया है।
अभिभावकों ने बताया कि उन्हें बच्चों से शिकायत मिलने के बाद स्कूल पहुंचना पड़ा। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि शिक्षक पूरी तरह नशे की हालत में थे। उनका व्यवहार पूरी तरह असामान्य था और वे बच्चों को पढ़ाने लायक स्थिति में नहीं थे।
सोशल मीडिया में तूफान
वायरल वीडियो ने स्थानीय स्तर पर तूफान ला दिया है। अभिभावकों और स्थानीय निवासियों ने शिक्षक के तत्काल निलंबन की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसा व्यवहार बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विभाग ने स्पष्ट किया कि बच्चों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
स्कूल प्रशासन की कार्रवाई
स्कूल प्रशासन ने तुरंत शिक्षक को कक्षा से हटाने का निर्णय लिया। प्रशासन ने मामले की आंतरिक जांच भी शुरू कर दी है। उन्होंने अभिभावकों को आश्वासन दिया कि ऐसी घटना भविष्य में दोहराई नहीं जाएगी।
शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी स्कूलों को निर्देश जारी किए हैं। इनमें शिक्षकों के व्यवहार और उपस्थिति पर नियमित निगरानी रखने के निर्देश शामिल हैं। विभाग ने ऐसे किसी भी व्यवहार को बर्दाश्त न करने की बात कही।
विशेषज्ञों का मानना है कि नशे की हालत में शिक्षक का कक्षा में आना बच्चों की शैक्षणिक प्रगति को प्रभावित कर सकता है। उन्होंने अभिभावकों को सलाह दी कि ऐसी किसी भी घटना की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें।
समाज की प्रतिक्रिया
स्थानीय समाज के लोगों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि शिक्षकों को अपने व्यवहार के प्रति अधिक जिम्मेदार होना चाहिए। बच्चों का भविष्य सुरक्षित रखना सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए।
सोशल मीडिया पर भी इस मामले ने गर्मागर्म बहस छेड़ दी है। लोग शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई यूजर्स ने शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
इस घटना ने स्कूल और अभिभावकों के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित किया है। दोनों पक्षों के सहयोग से ही बच्चों के लिए सुरक्षित शैक्षिक वातावरण सुनिश्चित किया जा सकता है। शिक्षा विभाग ने मामले की संपूर्ण जांच का आश्वासन दिया है।
