World News: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि गर्भावस्था के दौरान पेरासिटामोल का इस्तेमाल ऑटिज्म के खतरे को बढ़ा सकता है। ट्रंप ने यह बयान ऑटिज्म के संभावित इलाज पर शोध को बढ़ावा देते हुए दिया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन जल्द ही डॉक्टरों को गर्भवती महिलाओं को इस दवा की सलाह सीमित करने के निर्देश भेजेगा।
ट्रंप का यह बयान रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर की एक व्यापक जांच के बाद आया है। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने इस दावे का विरोध किया है। उनकी अपनी शोध रिपोर्ट्स में इस तरह के लिंक का खंडन किया गया है। इस बहस ने दुनिया भर में गर्भवती महिलाओं और डॉक्टरों के बीच चिंता पैदा कर दी है।
वहीं, दवा कंपनी केनव्यू ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कंपनी ने कहा है कि एसिटामिनोफेन गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित दर्द निवारक विकल्प है। उनका दावा है कि इसके बिना महिलाओं को खतरनाक विकल्पों का सहारा लेना पड़ सकता है। इस तरह, इस मामले में वैज्ञानिकों, राजनेताओं और उद्योग के बीच मतभेद साफ दिख रहा है।
ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म एक न्यूरो-डेवलपमेंटल स्थिति है जो मस्तिष्क के विकास से जुड़ी हुई है। इस स्थिति वाले व्यक्ति की सोचने, बोलने और व्यवहार करने की शैली अलग होती है। यह आमतौर पर बचपन में ही दिखाई देने लगती है। ऑटिज्म के लक्षण हर बच्चे में अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ सामान्य संकेतों में बोलने में कठिनाई, दूसरों से आंख न मिलाना और एक ही काम दोहराते रहना शामिल है।
इस स्थिति में बच्चे किसी खास चीज में असामान्य रुचि ले सकते हैं। वे रोशनी या आवाज के प्रति ज्यादा संवेदनशील भी हो सकते हैं। ऑटिज्म का अभी तक कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन थेरेपी से जीवन में सुधार किया जा सकता है। इसकी सटीक वजहों पर अभी भी शोध जारी है, जिसमें आनुवंशिक और पर्यावरणीय कारण शामिल हो सकते हैं।
वैज्ञानिक शोध क्या कहते हैं?
पेरासिटामोल और ऑटिज्म के बीच संबंध को लेकर कई अध्ययन हुए हैं। कुछ शोधों में इसका जोखिम बताया गया है, जबकि अन्य में कोई स्पष्ट संबंध नहीं मिला है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का एक बड़ा वर्ग अभी भी इसे गर्भावस्था में सुरक्षित मानता है, खासकर बुखार कम करने के लिए। बुखार गर्भावस्था के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी संस्थाएं भी जरूरत पड़ने पर इसके सीमित इस्तेमाल की सलाह देती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अभी इस मामले पर और व्यापक शोध की आवश्यकता है। उनका सुझाव है कि गर्भवती महिलाओं को किसी भी दवा का सेवन डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए। डॉक्टर ही जोखिम और फायदों का सही आकलन कर सकते हैं।
गर्भावस्था में दवा लेने का सुरक्षित तरीका
गर्भावस्था एक संवेदनशील दौर है और इस समय किसी भी दवा का इस्तेमाल सोच-समझकर करना चाहिए। सबसे पहले तो दर्द या बुखार के लिए गैर-दवा वाले उपाय आजमाने चाहिए। अगर दवा लेना ही जरूरी हो, तो हमेशा अपने डॉक्टर से पूछकर ही लें। डॉक्टर सबसे कम खुराक और सबसे कम समय के लिए दवा लेने की सलाह देते हैं।
स्व-चिकित्सा से बचना इस समय सबसे जरूरी है। बाजार में मिलने वाली कई अन्य दर्द निवारक दवाएं गर्भावस्था में पेरासिटामोल से ज्यादा खतरनाक मानी जाती हैं। इसलिए, किसी भी दवा का चुनाव एक योग्य चिकित्सक की देखरेख में ही करना उचित रहता है। यह माँ और बच्चे दोनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
इस पूरे विवाद ने गर्भावस्था में दवाओं के इस्तेमाल को लेकर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ दी है। यह मामला दर्शाता है कि चिकित्सा निर्णय हमेशा व्यक्तिगत स्वास्थ्य स्थितियों और नवीनतम वैज्ञानिक सबूतों पर आधारित होने चाहिए। महिलाओं को इस संबंध में किसी भी निर्णय से पहले अपने डॉक्टर से विस्तृत सलाह लेनी चाहिए।
