Varanasi News: प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्रा का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। उनकी पुत्री नम्रता मिश्रा ने इस दुखद समाचार की पुष्टि की। उनका अंतिम संस्कार बनारस में किया जाएगा। भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत में यह एक अपूरणीय क्षति है।
पंडित जी के निधन का समय सुबह 4.15 बजे का था। वह अपने मीरजापुर स्थित आवास पर थे। उन्होंने लंबी बीमारी के बाद अंतिम सांस ली। उनके परिवार में पत्नी, बेटी और करीबी रिश्तेदार मौजूद थे। संगीत प्रेमी उनके निधन से गहरे सदमे में हैं।
तीन सप्ताह पहले आया था माइनर अटैक
लगभग तीन सप्ताह पहले शनिवार के दिन पंडित छन्नूलाल मिश्रा को माइनर अटैक आया था। इसके बाद उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जांच में पाया कि उनके सीने में संक्रमण और खून की कमी भी है। वह लगातार चिकित्सकीय देखरेख में थे।
बीएचयू में तीन सप्ताह तक चले इलाज के बाद शुक्रवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई। इसके बाद उनके स्वजन उन्हें मीरजापुर ले आए। मीरजापुर पहुंचने पर उनकी तबीयत फिर से बिगड़ गई। परिवार ने उन्हें तुरंत स्थानीय चिकित्सालय में भर्ती कराया।
मीरजापुर में चल रहा था इलाज
पंडित जी को मीरजापुर के ओझलापुल स्थित रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। बीएचयू के प्राचार्य प्रोफेसर संजीव कुमार सिंह ने व्यक्तिगत रूप से उनकी चिकित्सा व्यवस्था का जायजा लिया। वह असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर पंकज कुमार पांडेय के साथ चिकित्सालय पहुंचे थे।
चिकित्सकों ने बीएचयू में हुई जांचों और इलाज की रिपोर्ट्स का अध्ययन किया। उन्होंने पंडित जी की पुत्री नम्रता मिश्रा को कुछ स्वास्थ्य संबंधी सुझाव भी दिए। रामकृष्ण सेवा मिशन के डॉक्टरों के साथ मिलकर उनके उपचार की योजना बनाई गई।
प्राचार्य ने जताया गहरा दुख
बीएचयू के प्राचार्य प्रोफेसर संजीव कुमार सिंह ने पंडित जी के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि पंडित छन्नूलाल मिश्रा से उनके बहुत पुराने संबंध थे। इसी कारण वह उनका कुशलक्षेम जानने के लिए व्यक्तिगत रूप से चिकित्सालय पहुंचे थे।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि पंडित जी के निधन से संगीत जगत की एक महान आवाज सदा के लिए खामोश हो गई है। उन्होंने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। बीएचयू परिसर में भी उनके निधन की खबर से गहरा सदमा है।
भारतीय संगीत को दिए योगदान
पंडित छन्नूलाल मिश्रा ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को अमूल्य योगदान दिया। वह किराना घराने के प्रतिष्ठित गायक थे। उन्होंने ठुमरी और दादरा जैसी शैलियों में विशेष महारत हासिल की। उनकी गायकी में भावनाओं की गहरी अभिव्यक्ति होती थी।
उन्होंने देश-विदेश में अनेक संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया। उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान मिले। उनके शिष्यों ने दुनिया भर में उनकी संगीत परंपरा को आगे बढ़ाया। उनका लीगेसी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
