शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

पंचायत घोटाला: कुल्लू की एक प्रधान पर लगे करोड़ों रुपये के दुरुपयोग के आरोप, अब पंचायतीराज विभाग करेगा जांच

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Kullu News: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले की ग्राम पंचायत रोपा में करोड़ों रुपये के सरकारी फंड के दुरुपयोग का मामला सामने आया है। पूर्व उपप्रधान कर्म ठाकुर ने विकास खंड आनी की वर्तमान प्रधान अनु ठाकुर पर गंभीर आरोप लगाए हैं। शिकायत के अनुसार विभिन्न योजनाओं में फर्जी खर्च और गबन के मामले सामने आए हैं। यह मामला अब राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार-रोधी ब्यूरो से होता हुआ पंचायती राज विभाग तक पहुंच गया है।

कर्म ठाकुर ने 10 सितंबर 2025 को लिखित शिकायत दर्ज कराई। वह कांग्रेस से जुड़े हैं और पंचायत के पूर्व उपप्रधान रह चुके हैं। उनका आरोप है कि पंचायत प्रधान ने सरकारी सहायता राशि का गलत इस्तेमाल किया। शिकायत में विकास कार्यों के नाम पर फर्जी खर्च दिखाए जाने का दावा किया गया है। कई योजनाओं को सिर्फ कागजों पर पूरा कर दिया गया।

शिकायतकर्ता का कहना है कि पंचायत बजट और निर्माण कार्यों में पारदर्शिता की पूरी तरह अनदेखी हुई। कर्म ठाकुर ने कहा कि पंचायत स्तर पर करोड़ों रुपये की योजनाएं आती हैं जो जनता की भलाई के लिए होती हैं। उन्होंने दावा किया कि जिम्मेदार लोगों द्वारा इन पैसों के दुरुपयोग से आम जनता का हक मारा जा रहा है।

राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार-रोधी ब्यूरो ने 19 सितंबर 2025 को इस मामले को दर्ज किया। ब्यूरो ने पत्र संख्या 190/2025 के तहत शिकायत पर संज्ञान लिया। हालांकि संस्था ने अपनी प्रतिक्रिया में संसाधन और जनशक्ति की सीमाओं का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायतों के कामकाज की गहन जानकारी तुरंत संभव नहीं है।

सतर्कता ब्यूरो ने यह तय करना मुश्किल बताया कि मामला संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है या नहीं। इसी कारण मामले को पंचायती राज विभाग को भेज दिया गया है। विभाग से नियमों के तहत कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। ब्यूरो के पत्र में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और हिमाचल प्रदेश पंचायती राज नियम 2012 का उल्लेख किया गया।

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ग्राउंड रिपोर्टिंग में खुलासे

ग्राउंड रिपोर्टिंग में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। मंडार गांव में तीन लाख रुपये की लागत से लोहे का पुल बनाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि उस स्थान पर पुल की कोई आवश्यकता ही नहीं थी। एक अन्य मामले में पंचायत ने सवा लाख रुपये उप स्वास्थ्य केंद्र की मरम्मत पर खर्च दिखाया। जबकि स्वास्थ्य विभाग ने वहां आज तक भवन का निर्माण ही नहीं किया। इन दोनों मामलों से सरकारी धन के दुरुपयोग की आशंका और मजबूत हुई है। स्थानीय लोगों ने इन योजनाओं में गड़बड़ी की बात कबूल की।

राजनीतिक पृष्ठभूमि

यह मामला सिर्फ वित्तीय गड़बड़ी तक सीमित नहीं है। इसका सीधा असर आगामी पंचायत चुनावों पर भी देखने को मिल सकता है। आरोपी अनु ठाकुर भाजपा की बड़ी महिला नेत्री मानी जाती हैं। वह पूर्व जिला परिषद सदस्य और पूर्व बीडीसी अध्यक्षा रह चुकी हैं।

अनु ठाकुर जिला परिषद या बीडीसी सदस्य के चुनाव में प्रबल दावेदार मानी जाती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सीट महिला आरक्षित हुई तो उनकी दावेदारी मजबूत होगी। विपक्षी दल कांग्रेस इस मुद्दे को सत्ता पक्ष के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है। स्थानीय राजनीति में यह मुद्दा तेजी से उभर रहा है।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

ग्राम पंचायत रोपा के ग्रामीणों ने नाराजगी जाहिर की है। उनका कहना है कि गांव की भलाई के लिए आया पैसा भ्रष्टाचार में डूब गया। स्थानीय निवासियों ने मांग की कि अगर आरोप साबित होते हैं तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। ग्रामीणों ने पंचायत कार्यों में पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई।

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कई ग्रामीणों ने अनु ठाकुर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने की बात कही। उन्होंने बताया कि कैसे विकास कार्यों में गड़बड़ी के चलते गांव का विकास प्रभावित हुआ है। ग्रामीणों ने निष्पक्ष जांच की मांग को दोहराया। उनका कहना है कि अब तक पंचायत प्रधान ने इन आरोपों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।

कानूनी पहलू

पंचायती राज नियमों के अनुसार वित्तीय अनियमितता का संदेह होने पर पंचायत सचिव या संबंधित अधिकारी को पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करनी होती है। वर्ष 2017 में हाईकोर्ट के एक फैसले के अनुसार पंचायत संस्थाओं की गतिविधियों पर प्रशासनिक अधिकारियों को सख्त निगरानी रखनी होगी। इस फैसले का हवाला भी इस मामले में दिया जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि पंचायत स्तर पर करोड़ों रुपये आते हैं लेकिन निगरानी और पारदर्शिता की कमी है। ऐसे मामलों से जनता का पंचायतों से विश्वास उठता है और विकास कार्य प्रभावित होते हैं। पंचायती व्यवस्था के जानकार इस मामले को हिमाचल की पंचायत प्रणाली पर गंभीर सवाल मानते हैं।

आगे की कार्रवाई

अब यह मामला पंचायती राज विभाग के पास है। विभाग प्राथमिक जांच करेगा और तथ्यों का पता लगाएगा। यदि भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है तो यह मामला वापस सतर्कता ब्यूरो को भेजा जाएगा। दोषियों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और विभागीय कार्रवाई हो सकती है।

संभावित कार्रवाई में निलंबन और मुकदमा दायर करना शामिल हो सकता है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक दबाव और प्रशासनिक सुस्ती इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल सकती है। जनता की निगाहें अब पंचायती राज विभाग और सतर्कता ब्यूरो की कार्रवाई पर टिकी हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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