Uttarakhand News: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव से पहले बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने उन प्रत्याशियों को पंचायत चुनाव लड़ने से रोक दिया, जिनके नाम दो अलग-अलग मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। यह नियम पंचायती राज एक्ट का उल्लंघन करता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वह नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के कारण चुनाव में हस्तक्षेप नहीं करेगा। यह फैसला कई उम्मीदवारों के लिए झटका है।
याचिका पर सुनवाई और कोर्ट का आदेश
11 जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट ने शक्ति सिंह बर्थवाल की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में कहा गया कि 12 जिलों में कई प्रत्याशियों के नाम नगर निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत की मतदाता सूचियों में हैं। कोर्ट ने इसे गलत ठहराया और कहा कि दो मतदाता सूचियों में नाम होने पर उम्मीदवार अयोग्य होगा। कोर्ट ने रिटर्निंग अधिकारियों के अलग-अलग फैसलों को भी खारिज कर दिया।
पंचायती राज एक्ट का उल्लंघन
पंचायती राज एक्ट की धारा 9 (6 और 7) में साफ है कि दो स्थानों पर मतदाता सूची में नाम वाले लोग चुनाव नहीं लड़ सकते। फिर भी, राज्य निर्वाचन आयोग ने इस नियम की अनदेखी की। नामांकन और स्क्रूटनी के दौरान यह मुद्दा उठा। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस नियम का सख्ती से पालन करे। इससे पंचायत चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।
निर्वाचन आयोग की रिव्यू याचिका खारिज
राज्य निर्वाचन आयोग ने कोर्ट के फैसले पर रिव्यू याचिका दायर की थी। आयोग ने मांग की कि आदेश को स्पष्ट किया जाए, क्योंकि इससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। हाईकोर्ट ने रिव्यू याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह पंचायत चुनाव में रोक नहीं लगा रहा, लेकिन नियमों का पालन जरूरी है। यह फैसला उम्मीदवारों के लिए कड़ा संदेश है।
चुनाव बाद भी याचिका का विकल्प
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को कोई शिकायत मिलने पर पंचायत選挙 खत्म होने के बाद भी याचिका दायर की जा सकती है। कोर्ट ने आयोग की दलीलों को अस्वीकार करते हुए नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा। यह फैसला उन मतदाताओं के लिए राहत है, जो चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता चाहते हैं। इससे उत्तराखंड में पंचायत चुनाव की विश्वसनीयता बढ़ेगी।
