Himachal News: हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित पंचायत चुनावों में आरक्षण का पैटर्न पूरी तरह बदलने वाला है। पुनर्सीमांकन के बाद अधिकतर ब्लॉक और पंचायतों की सीमाएं बदल गई हैं। इससे जनसंख्या के आंकड़े प्रभावित हुए हैं। आरक्षण का निर्धारण इन्हीं आंकड़ों के आधार पर होता है। विभाग नए आरक्षण रोस्टर पर काम कर रहा है। पुराने हिसाब से तुक्के लगाना इस बार काम नहीं आएगा।
पंचायत चुनावों से पहले जारी होने वाला आरक्षण रोस्टर अभी सार्वजनिक नहीं हुआ है। लेकिन गांवों में लोग अपने स्तर पर गणित लगा रहे हैं। वे संभावित उम्मीदवारों को समर्थन देने की योजना बना रहे हैं। जानकार मानते हैं कि पिछला रोस्टर इस बार लागू नहीं होगा। इसकी कई ठोस वजहें सामने आई हैं।
शहरी निकायों का प्रभाव
प्रदेश में कई नए शहरी निकाय बने हैं। इससे पंचायतों का क्षेत्रफल और जनसंख्या घटी-बढ़ी है। भले ही यह बदलाव कुछ पंचायतों में हुआ हो, लेकिन इसका असर पूरे ब्लॉक पर पड़ता है। आरक्षण ब्लॉक स्तर पर तय होता है। इसलिए छोटे बदलाव भी बड़े नतीजे ला सकते हैं। जनसंख्या अनुपात बदलने से आरक्षण की श्रेणियां भी बदल जाती हैं।
पुनर्सीमांकन का असर
प्रदेश के कई ब्लॉकों में पंचायतों का पुनर्सीमांकन हुआ है। कुछ पंचायतों को एक ब्लॉक से हटाकर दूसरे ब्लॉक में शामिल किया गया है। इससे सैकड़ों पंचायतों की व्यवस्था पहले से अलग हो गई है। नए सिस्टम में आरक्षण का स्वरूप बदलना तय माना जा रहा है। राजनीतिक दल भी नए रोस्टर का इंतजार कर रहे हैं।
अधिकारियों का बयान
जिला पंचायत अधिकारी विक्रम ठाकुर ने पुष्टि की कि विभागीय स्तर पर तैयारियां जारी हैं। उन्होंने कहा कि इस बार आरक्षण नए सिरे से तय होगा। पुनर्सीमांकन और अन्य कारणों से कई बदलाव संभव हैं। पूरी स्थिति रोस्टर जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगी। अभी सभी अनुमान महज अटकलें हैं।
राजनीतिक गलतियों से बचें
बिना आधिकारिक रोस्टर के पुराने पैटर्न पर चलना जोखिम भरा हो सकता है। चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वालों को जल्दबाजी में समर्थन नहीं देना चाहिए। उम्मीदवारों को पूरा गणित समझकर ही निर्णय लेना चाहिए। बाद में रोस्टर अलग आने पर निर्णय बदलना मुश्किल हो जाता है। इससे राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है।
आरक्षण का गणित
आरक्षण का निर्धारण जनसंख्या के अनुपात में होता है। जिस ब्लॉक या पंचायत में किसी वर्ग की जनसंख्या अधिक होगी, आरक्षण सबसे पहले उसी के लिए तय होगा। नए सीमांकन ने जनसंख्या के ये अनुपात बदल दिए हैं। इसलिए आरक्षण की श्रेणियां भी बदलेंगी। स्थानीय नेताओं को इस बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए।
चुनावी तैयारियां
विभाग आरक्षण रोस्टर जारी करने के बाद चुनाव प्रक्रिया शुरू करेगा। इस बीच राजनीतिक दल संभावित उम्मीदवारों की सूची बना रहे हैं। लेकिन रोस्टर न आने से उनकी योजनाएं अटकी हुई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावी गतिविधियां धीमी पड़ गई हैं। सभी हलकों में आधिकारिक घोषणा का इंतजार जारी है।
