Himachal News: हिमाचल प्रदेश में पंचायती राज और शहरी निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। इस बार विधानसभा मतदाता सूची के आधार पर वोटिंग होगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने विभाग से डाटा मांगा है। पंचायत चुनाव दिसंबर 2025 और शहरी निकाय चुनाव जनवरी 2026 में प्रस्तावित हैं।
मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया
राज्य निर्वाचन विभाग ने मतदाता सूची प्रकाशित की है। जनता से 13 अगस्त तक आपत्तियां और सुझाव मांगे गए हैं। इसके बाद सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। विभाग के पास गांव स्तर का डाटा है। राज्य निर्वाचन आयोग के पास वार्ड-वाइज डाटा उपलब्ध है। यह प्रक्रिया चुनाव की पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी।
पंचायत और शहरी निकाय चुनाव का शेड्यूल
पंचायती राज चुनाव दिसंबर 2025 में होने की संभावना है। शहरी निकाय चुनाव जनवरी 2026 में प्रस्तावित हैं। शहरी निकायों के रोस्टर में देरी के कारण चुनाव आगे बढ़ सकते हैं। कैबिनेट ने रोस्टर जारी करने की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोग को सौंपी है। आयोग इस प्रक्रिया को तेजी से पूरा कर रहा है।
चुनाव चिह्न और तैयारियां
राज्य निर्वाचन आयोग ने जिला परिषद, पंचायत समिति, प्रधान, उपप्रधान और सदस्यों के लिए चुनाव चिह्न तय किए हैं। पोलिंग पार्टियों के लिए कर्मचारियों का चयन शुरू हो गया है। बैलेट पेपर और स्टेशनरी की छपाई भी चल रही है। आयोग अन्य जरूरी कार्यों को भी पूरा कर रहा है।
शहरी निकायों में प्रशासक की संभावना
शहरी निकायों के रोस्टर में देरी से चुनाव टल सकते हैं। ऐसी स्थिति में निकायों में प्रशासक नियुक्त किए जा सकते हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने इस प्रक्रिया को सुचारू करने के लिए आदेश जारी किए हैं। हिमाचल में 73 नगर निगम, नगर पंचायत और नगर परिषद में चुनाव होंगे।
आयोग की जिम्मेदारियां
राज्य निर्वाचन आयोग पोलिंग स्टेशन तय करने में जुटा है। कर्मचारियों का चयन और प्रशिक्षण भी चल रहा है। बैलेट पेपर की छपाई और अन्य सामग्री की व्यवस्था की जा रही है। आयोग यह सुनिश्चित कर रहा है कि सभी तैयारियां समय पर पूरी हो जाएं।
पारदर्शी चुनाव की दिशा में कदम
मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के लिए जनता से सुझाव मांगे गए हैं। यह कदम चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में मदद करेगा। राज्य निर्वाचन विभाग और आयोग मिलकर डाटा को व्यवस्थित कर रहे हैं। इससे मतदाताओं को सही जानकारी मिलेगी।
समय पर चुनाव की चुनौती
पंचायत और शहरी निकाय चुनाव समय पर कराने की जिम्मेदारी आयोग पर है। रोस्टर में देरी के बावजूद आयोग तेजी से काम कर रहा है। यदि समय पर प्रक्रिया पूरी नहीं हुई, तो प्रशासक नियुक्त करने का निर्णय लिया जा सकता है।
