International News: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने अफगानिस्तान को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि तालिबान शासन को हटाने के लिए पाकिस्तान को अपने सभी हथियारों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह बयान तुर्किए में हुई शांति वार्ता के बेनतीजा रहने के बाद आया है। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से अफगानिस्तान के प्रति कड़ा रुख देखने को मिल रहा है।
आसिफ ने अफगानिस्तान को ‘कब्रिस्तान’ करार देते हुए यह भी कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अफगान तालिबान को फिर से हराकर टोरा-बोरा की पहाड़ियों में धकेल दिया जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान भाईचारे वाले देशों के बार-बार अनुरोध पर शांति वार्ता में शामिल हुआ था।
आतंकवादी हमलों की चेतावनी
रक्षा मंत्री ने चेतावनी दी कि यदि पाकिस्तान में किसी भी आतंकवादी हमले या आत्मघाती विस्फोट में तालिबान का नाम आता है तो अफगान तालिबान को इसके कड़वे परिणाम भुगतने होंगे। यह बयान दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। खासकर सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर मतभेद गहराए हैं।
अफगान अधिकारियों की तरफ से लगातार घातक बयानबाजी जारी रही है। इससे द्विपक्षीय संबंधों में तनाव बढ़ा है। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं।
अफगान अधिकारियों के आरोप
एक दिन पहले अफगान तालिबान सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सलाहकार कारी सईद खोशती ने गंभीर आरोप लगाए थे। खोशती हक्कानी नेटवर्क के वरिष्ठ सदस्य भी हैं। उन्होंने पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड मेजर आदिल राजा के साथ बातचीत में यह आरोप लगाए।
खोशती ने दावा किया कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमला तब किया जब अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत में थे। उनके अनुसार पाकिस्तान के कुछ सत्ताधारी दशकों से नहीं चाहते कि अफगानिस्तान भारत के साथ अच्छे संबंध बनाए।
शांति वार्ता विफल होने के आरोप
अफगान अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि तुर्किए में बातचीत विफल होने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई जिम्मेदार है। उन्होंने आईएसआई के स्पेशल ऑपरेशंस प्रमुख मेजर जनरल शहाब असलम पर आरोप लगाए। शहाब असलम पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे थे।
अफगानों का कहना है कि शहाब असलम ने बातचीत के दौरान धमकी भरे लहजे का इस्तेमाल किया। आईएसआई अफगान प्रतिनिधियों पर दबाव डाल रही थी कि वे पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों को अफगान इलाके में बसाने की शर्तें स्वीकार करें। साथ ही वे पाकिस्तान को अफगान क्षेत्र में सैन्य अभियान चलाने की अनुमति दें।
