Pakistan News: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने जनता को राहत देने का बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने पेट्रोल और डीजल के दामों में महत्वपूर्ण कमी की घोषणा की है। नए दाम पूरे देश में तुरंत लागू कर दिए गए हैं। इस कदम से परिवहन और रोजमर्रा के जीवन पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ में कमी आने की उम्मीद है। आम लोगों के लिए यह एक सकारात्मक खबर है।
पेट्रोलियम डिविजन द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, पेट्रोल के दाम में दो रुपए की कटौती की गई है। इसी तरह डीजल के दाम में चार दशमलव उन्नासी रुपए की गिरावट दर्ज की गई है। यह समायोजन तेल और गैस नियामक प्राधिकरण की सिफारिशों के आधार पर किया गया है। नई कीमतें तुरंत प्रभाव से देश भर में लागू हो गई हैं।
कीमतों में कमी के बाद अब पेट्रोल प्रति लीटर दो सौ तिरेसठ दशमलव पैंतालीस रुपए का हो गया है। वहीं डीजल की कीमत घटकर दो सौ उन्यासी दशमलव पैंसठ रुपए प्रति लीटर रह गई है। यह बदलाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव को दर्शाता है। सरकार ने इस अवसर का फायदा उठाते हुए जनता को राहत पहुंचाने का निर्णय लिया।
महंगाई पर प्रभाव
डीजल कीकीमत में यह कमी विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है। डीजल का उपयोग मुख्य रूप से भारी परिवहन वाहनों, ट्रकों, बसों और कृषि उपकरणों में होता है। यह परिवहन क्षेत्र की रीढ़ की हड्डी है। डीजल की कीमतों का सीधा असर सामानों की ढुलाई लागत पर पड़ता है। इसलिए, इसकी कीमत में कमी से महंगाई पर लगाम लगने की उम्मीद की जा रही है।
पेट्रोल की कीमत में गिरावट का असर सीधे आम आदमी पर दिखेगा। पेट्रोल का इस्तेमाल ज्यादातर निजी वाहनों, कारों, मोटरसाइकिल और रिक्शा में होता है। यह मध्यम वर्ग और निम्न-मध्यम वर्ग के परिवारों के बजट को प्रभावित करता है। पेट्रोल सस्ता होने से उनकी यात्रा लागत में कमी आएगी। इससे उनके मासिक खर्च में कुछ राहत मिल सकेगी।
करों की भूमिका
सरकार पेट्रोल और डीजल दोनोंपर भारी मात्रा में कर वसूलती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सरकार इन ईंधनों पर लगभग निन्यानबे रुपए प्रति लीटर का शुल्क लेती है। हालांकि पेट्रोलियम उत्पादों पर जीएसटी शून्य प्रतिशत है, लेकिन सरकार अन्य लेवी लगाती है। इनमें पेट्रोलियम लेवी और जलवायु सहायता लेवी जैसे शुल्क शामिल हैं।
डीजल पर उन्यासी दशमलव पचास रुपए प्रति लीटर का शुल्क लिया जाता है। पेट्रोल और हाई-ऑक्टेन उत्पादों पर अस्सी दशमलव बावन रुपए प्रति लीटर का शुल्क देना पड़ता है। इसके अलावा, सीमा शुल्क भी एक महत्वपूर्ण घटक है। पेट्रोल और डीजल पर लगभग सत्रह से अठारह रुपए प्रति लीटर का सीमा शुल्क लगता है।
तेल विपणन कंपनियों और उनके डीलरों को भी अपना हिस्सा मिलता है। वितरण और बिक्री मार्जिन के रूप में लगभग सत्रह रुपए प्रति लीटर की राशि इन कंपनियों को जाती है। यह मार्जिन डीलरों के लाभ और परिचालन लागत को कवर करता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें घटने पर ही उपभोक्ताओं को असली राहत मिल पाती है।
आर्थिक प्रभाव
ईंधन कीकीमतों में कमी का आर्थिक गतिविधियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। परिवहन लागत घटने से वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण होगा। इससे खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से सब्जियों और फलों के दाम स्थिर हो सकते हैं। किसानों को डीजल पर कम खर्च करना पड़ेगा, जिससे कृषि लागत में कमी आएगी।
उद्योग जगत भी इस कदम का स्वागत कर रहा है। कच्चे माल की ढुलाई और तैयार माल की डिलीवरी की लागत घटने से उत्पादन खर्च प्रभावित होता है। इससे विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिल सकता है। आम उपभोक्ता की क्रय शक्ति में भी सुधार होने की संभावना है। लोगों के पास अन्य जरूरतों पर खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचेगा।
ईंधन कीमतों में उतार-चढ़ाव एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। अंतरराष्ट्रीय बाजार, मुद्रा विनिमय दर और स्थानीय कर ढांचा इसे प्रभावित करते हैं। सरकारें अक्सर इन कारकों के आधार पर कीमतों में समायोजन करती रहती हैं। वर्तमान में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए यह गिरावट एक राहत भरी खबर के रूप में देखी जा रही है।
