Pakistan News: पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने भारत पर सिंधु जल संधि का उल्लंघन करने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत लगातार इस अंतरराष्ट्रीय समझौते को कमजोर कर रहा है। डार ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी कि पानी में हेरफेर से पाकिस्तान में खेती और खाद्य सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है।
सिंधु जल संधि पर विवाद की पृष्ठभूमि
सिंधुजल संधि वर्ष 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी। यह समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल वितरण को नियंत्रित करता है। इस वर्ष अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने संधि को स्थगित करने का निर्णय लिया था। इसके बाद से दोनों देशों के बीच जल विवाद तेज हो गया है।
इशाक डार के प्रमुख आरोप और चिंताएं
इशाक डार नेमीडिया से बातचीत में कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि भारत ने संधि के तहत अपेक्षित सूचना और जल संबंधी आंकड़े साझा करना बंद कर दिया है। संयुक्त निगरानी व्यवस्था भी ठप पड़ गई है। इससे पाकिस्तान को बाढ़ और सूखे का सटीक पूर्वानुमान लगाने में कठिनाई हो रही है। डार ने इसे क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा बताया।
चिनाब नदी के प्रवाह में बदलाव का मुद्दा
पाकिस्तान नेचिनाब नदी के प्रवाह में बदलाव को लेकर भारत से स्पष्टीकरण मांगा है। इसके बाद ही इशाक डार ने यह बयान दिया। पाकिस्तान के सिंधु आयुक्त ने अपने भारतीय समकक्ष को इस मामले में औपचारिक पत्र लिखा है। पाकिस्तान का दावा है कि भारत द्वारा पानी के प्रवाह में किए जा रहे हेरफेर से कृषि प्रभावित हो रही है। खेती के महत्वपूर्ण समय में यह समस्या और गंभीर हो जाती है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील
विदेश मंत्रीइशाक डार ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की गुहार लगाई है। उन्होंने कहा कि भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय कानून की पवित्रता के लिए खतरा है। डार ने दूसरे देशों से भारत पर दबाव बनाने का आग्रह किया। उनका मानना है कि पानी की आपूर्ति रोकना युद्ध के समान है। इससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता प्रभावित होती है।
पाकिस्तान में आर्थिक संकट और जल की कमी
पाकिस्तान पहलेसे ही गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। देश में महंगाई चरम पर है और विदेशी मुद्रा भंडार खतरनाक स्तर तक गिर गया है। ऐसे में जल संकट की आशंका ने स्थिति को और विकट बना दिया है। देश की कृषि अर्थव्यवस्था सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है। जल की कमी से खाद्य उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इससे खाद्य सुरक्षा संकट गहरा सकता है।
भारत की प्रतिक्रिया और स्थिति
भारत नेपहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई दंडात्मक कदम उठाए थे। इनमें सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी शामिल था। भारत का मानना है कि पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन दे रहा है। इसलिए सभी समझौते और व्यवस्थाएं पुनर्विचार के दायरे में हैं। भारत ने पाकिस्तान के आरोपों का अभी तक कोई औपचारिक जवाब नहीं दिया है। विदेश मंत्रालय इस मामले पर स्थिति का आकलन कर रहा है।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभाव
विश्लेषकोंका मानना है कि जल विवाद क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती बन सकता है। पानी की कमी से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मामले में सक्रिय भूमिका निभा सकता है। विश्व बैंक पहले से ही इस संधि की गारंटर है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठन भी द्विपक्षीय वार्ता को प्रोत्साहित कर सकते हैं। शांतिपूर्ण समाधान ही क्षेत्र के हित में होगा।
