International News: पाकिस्तान के लाहौर में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी की खबर है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस घटना में सैकड़ों लोगों के मारे जाने की आशंका है। यह प्रदर्शन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान द्वारा आयोजित किया गया था। प्रदर्शनकारी गाजा संघर्ष और पाकिस्तान सरकार की विदेश नीति के विरोध में सड़कों पर उतरे थे।
घटना तब हुई जब प्रदर्शनकारी लाहौर से इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर जा रहे थे। सुरक्षा बलों ने रास्ते में कंटेनर लगाकर प्रदर्शन को रोकने का प्रयास किया। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़प हुई। इसके बाद सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी शुरू कर दी।
प्रत्यक्षदर्शियों का बयान
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सुरक्षा बलों ने अंधाधुंध फायरिंग की। सैकड़ों लोग घटनास्थल पर ही मारे गए। मृतकों के शवों को ट्रकों में भरकर ले जाया गया। स्थानीय लोगों ने बताया कि गोलीबारी में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
अंतरराष्ट्रीय पत्रकार रायन ग्रिम ने इस घटना की रिपोर्टिंग की। उन्होंने बताया कि यह गोलीबारी सिर्फ प्रदर्शन रोकने के लिए नहीं थी। इसका उद्देश्य पूरे देश में असहमति की आवाज को दबाना था। सोशल मीडिया पर घटना के कई वीडियो सामने आए हैं। इनमें गोलीबारी की आवाजें सुनाई दे रही हैं।
संगठन के नेता की स्थिति
तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के नेता साद रिज़वी इस प्रदर्शन में शामिल थे। रिपोर्ट्स के अनुसार गोलीबारी के दौरान उन्हें भी गोली लगी। कुछ सूत्रों का दावा है कि सुरक्षा बलों ने उन्हें हिरासत में ले लिया। उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है।
संगठन के समर्थक साद रिज़वी की गुमशुदगी को राजनीतिक अपहरण बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तलाश को लेकर हैशटैग ट्रेंड कर रहा है। पुलिस ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि कई उपद्रवी भाग गए हैं। उनकी तलाश जारी है।
मीडिया पर प्रतिबंध
पाकिस्तान सरकार ने इस घटना की रिपोर्टिंग पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया है। देश के प्रमुख टीवी चैनलों और अखबारों को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। राज्य नियंत्रित मीडिया प्रदर्शनकारियों को हिंसक तत्व के रूप में दिखा रहा है। स्वतंत्र पत्रकारों की रिपोर्टिंग पर रोक लगाई गई है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। ट्विटर और यूट्यूब की सेवाएं अवरुद्ध हैं। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कई यूजर्स को सस्पेंड किया गया है। सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जरूरी था।
प्रधानमंत्री का विदेश दौरा
इस घटना के समय पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ मिस्र में थे। वह गाजा संघर्ष विराम सम्मेलन में हिस्सा ले रहे थे। अपने भाषण में उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि ट्रम्प नोबेल शांति पुरस्कार के योग्य हैं।
यह बयान पाकिस्तान में विवाद का विषय बन गया। अधिकांश पाकिस्तानी फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं। वे अमेरिका को इजरायल का समर्थक मानते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि यही कारण था कि विरोध प्रदर्शन हुए।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा की है। कई मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान सरकार की कार्रवाई की निंदा की। उनका कहना है कि यह पाकिस्तान में सैन्य शासन की वास्तविकता को दर्शाता है। संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।
विदेशों में रह रहे पाकिस्तानी प्रवासियों ने विरोध प्रदर्शन किए। लंदन और न्यूयॉर्क में पाकिस्तानी दूतावासों के बाहर मोमबत्ती जलाई गई। प्रदर्शनकारियों ने मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से जवाबदेही की मांग की।
देश में सुरक्षा व्यवस्था
पाकिस्तान के कई शहरों में इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं। लाहौर और कराची में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सेना की गश्त बढ़ा दी गई है। सार्वजनिक जमावड़े पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
स्थानीय लोगों को घरों में रहने की सलाह दी गई है। कई परिवार अपने लापता सदस्यों की तलाश कर रहे हैं। अस्पतालों और पुलिस थानों के बाहर लोगों की भीड़ जमा है। प्रशासन ने शवों को अज्ञात स्थानों पर ले जाने की खबरों से इनकार किया है।
