International News: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। दोनों देश बड़े युद्ध के कगार पर पहुंच गए हैं। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तालिबान शासन को खुली धमकी दी है। उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तानी धरती पर किसी भी हमले का कड़ा जवाब दिया जाएगा।
यह धमकी इस्तांबुल में हुई वार्ता के विफल होने के कुछ घंटों बाद आई है। दोनों देशों के बीच चार दिनों तक चली बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। अफगानिस्तान ने इस वार्ता के विफल होने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया है।
रक्षा मंत्री का विवादित बयान
ख्वाजा आसिफ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर तालिबान को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि तालिबान शासन को खत्म करने के लिए पाकिस्तान को अपने हथियारों के भंडार का सिर्फ एक फीसदी इस्तेमाल करने की जरूरत है। उन्होंने तालिबान को गुफाओं में धकेलने की बात कही।
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि अगर तालिबान युद्ध चाहता है तो तोरा बोरा में उसकी हार तमाशा होगी। यह बयान दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को और बढ़ा सकता है। तालिबान ने अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
हालिया सैन्य टकराव
इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में तालिबान के ठिकानों पर हमले किए। इन हमलों में दर्जनों लोग मारे गए। अफगानिस्तान ने दावा किया कि मारे गए लोग आम नागरिक थे। तालिबान ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तानी सैन्य चौकियों पर हमला किया।
तालिबान के दावे के अनुसार इन हमलों में 58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम पर सहमति नहीं बन पाई है। 19 अक्टूबर को दोहा में युद्धविराम पर सहमति बनी थी लेकिन यह टिकाऊ साबित नहीं हुई।
शांति वार्ता विफल होने के कारण
अफगानिस्तान ने तुर्की में हुई शांति वार्ता के विफल होने का दोष पाकिस्तान पर डाला है। पाकिस्तान अफगान हवाई क्षेत्र का उल्लंघन बंद करने पर सहमत नहीं हुआ। अमेरिकी ड्रोन उड़ानों को रोकने को लेकर भी मतभेद रहे। इन मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाई।
दोनों देशों की सीमा दो सप्ताह से अधिक समय से बंद है। इससे व्यापार और आवाजाही पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। सीमा बंद होने से दोनों देशों के रिश्तों में और खटास आई है। तनाव कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे।
क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव
पाकिस्तान और अफगानिस्तान केबीच बढ़ता तनाव पूरे क्षेत्र की स्थिरता के लिए चिंता का विषय है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से रिश्तों में तनाव बढ़ा है। पाकिस्तान तालिबान से टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता रहा है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहा है। क्षेत्र में हिंसा बढ़ने से आम नागरिकों को खतरा हो सकता है। दोनों पक्षों के बीच संवाद जारी रखना जरूरी है। शांति वार्ता के नए रास्ते तलाशने की आवश्यकता है।
