शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

ओआरओपी: हिमाचल के पूर्व सैनिकों में भड़की नाराजगी, केंद्र सरकार पर लगाया बड़ा आरोप

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Himachal News: वन रैंक वन पेंशन की विसंगतियों को लेकर हिमाचल प्रदेश के पूर्व सैनिकों में गहरी नाराजगी है। संयुक्त मोर्चा ऑफ एक्स सर्विसमैन ने आरोप लगाया है कि लगातार ज्ञापन भेजने के बावजूद केंद्र सरकार ने इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। संगठन के नेताओं ने कहा कि सरकार के दावों के विपरीत अधिकांश पूर्व सैनिकों को वास्तविक लाभ अभी तक नहीं मिल पाया है।

संयुक्त मोर्चा के चेयरमैन कैप्टन जगदीश वर्मा ने बताया कि प्रदेश के पूर्व सैनिकों ने वर्ष 2024 में सभी सांसदों के माध्यम से प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजे थे। हमीरपुर से सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को यह मांग पांच बार लिखित रूप में सौंपी गई थी। इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं निकल सका।

आठवें वेतन आयोग में नहीं मिला समाधान

कैप्टन वर्मा ने कहा कि पूरे भारत में करीब 34 लाख पूर्व सैनिक इस समस्या से प्रभावित हैं। हिमाचल प्रदेश में लगभग 1.40 लाख पूर्व सैनिकों को ओआरओपी की विसंगतियों का सामना करना पड़ रहा है। पूर्व सैनिक प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि हाल ही में घोषित आठवें वेतन आयोग के नोटिफिकेशन में भी इन विसंगतियों को दूर करने के लिए कोई दिशा-निर्देश शामिल नहीं हैं।

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उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस आयोग में भी विसंगतियों को नहीं सुलझाया गया तो भविष्य में इसे सुधारना और भी मुश्किल हो जाएगा। कैप्टन वर्मा ने कहा कि एक रैंक एक पेंशन लागू करते समय गठित वन मैन ज्यूडिशल कमीशन की रिपोर्ट 2016 में ही सरकार को सौंप दी गई थी। इस रिपोर्ट को लागू करके विसंगतियों का समाधान किया जा सकता था।

वित्त मंत्री से की गई हस्तक्षेप की मांग

पूर्व सैनिक नेताओं ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र भेजकर अनुरोध किया है। उन्होंने मांग की है कि वह हस्तक्षेप कर आठवें वेतन आयोग की अध्यक्ष जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को आवश्यक निर्देश जारी करें। इससे लंबे समय से लंबित विसंगतियों को दूर किया जा सकेगा और ओआरओपी का वास्तविक लाभ पूर्व सैनिकों तक पहुंच सकेगा।

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संयुक्त मोर्चा के मीडिया प्रभारी नायब सूबेदार अमृतलाल और कोषाध्यक्ष सूबेदार मेजर रोशन लाल चौहान ने संयुक्त बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि पूर्व सैनिकों की मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर है।

राज्य और केंद्र स्तर पर जारी है संघर्ष

हिमाचल प्रदेश के पूर्व सैनिक लंबे समय से इस मुद्दे पर सक्रिय हैं। वे राज्य और केंद्र स्तर पर अपनी मांगों को लेकर लगातार आवाज उठा रहे हैं। संगठन के नेताओं का कहना है कि यदि जल्द ही इस मामले का समाधान नहीं निकाला गया तो वे बड़े प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।

पूर्व सैनिकों का कहना है कि ओआरओपी का वास्तविक लाभ मिलना उनका वैधानिक अधिकार है। सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा में अपना जीवन समर्पित करने वाले सैनिकों के साथ यह अन्यायपूर्ण व्यवहार है।

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