Rajasthan News: राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले के प्याज किसान भारी संकट में हैं। बाजार में दाम इतने गिर गए हैं कि किसानों की लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है। पिछले साल तीस रुपये प्रति किलो बिकने वाला प्याज अब महज पचास पैसे से दस रुपये किलो तक बिक रहा है। इस भारी गिरावट ने किसानों की सारी उम्मीदें तोड़ दी हैं।
किसान मंडियों में व्यापारियों पर साठगांठ का आरोप लगा रहे हैं। वे कहते हैं कि नीलामी में जानबूझकर कम बोली लगाई जाती है। देश भर में बंपर पैदावार के कारण दाम गिरे हैं। लेकिन स्थानीय किसानों का मानना है कि मंडी व्यवस्था में गड़बड़ी है।
मंडी में नीलामी के दृश्य
प्रतापगढ़कृषि उपज मंडी में इन दिनों निराशा का माहौल है। किसान अपनी फसल लेकर मंडी पहुंचते हैं। लेकिन नीलामी में बोली इतनी कम लगती है कि वे सदमे में रह जाते हैं। कई किसान मजबूरी में अपनी फसल बेचने को विवश हैं। उनके पास कोई विकल्प नहीं बचता।
किसान गोविन्द कुमावत ने बताया कि उनकी प्याज की नीलामी में सिर्फ पचास रुपये प्रति क्विंटल की बोली लगी। इसका मतलब हुआ पचास पैसे प्रति किलो। वे कहते हैं कि इस कीमत पर तो परिवहन खर्च भी नहीं निकलता। उनकी सारी मेहनत बेकार चली गई।
पड़ोसी राज्यों में अलग हालात
दिलचस्प बात यह हैकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में प्याज के दाम बहुत बेहतर हैं। मंदसौर और इंदौर की मंडियों में प्याज बाईस से तेईस रुपये प्रति किलो बिक रहा है। लेकिन प्रतापगढ़ में यही प्याज सात से दस रुपये किलो मिल रहा है। किसान इस अंतर पर सवाल उठा रहे हैं।
किसान लक्ष्मण कुमावत की फसल सात रुपये किलो बिकी। वे कहते हैं कि मंडी व्यापारी आपस में मिलकर काम करते हैं। वे किसानों को कम दाम पर फंसा लेते हैं। किसानों के पास अपनी फसल वापस ले जाने का विकल्प भी नहीं होता। उन्हें जो दाम मिलता है, उसे स्वीकार करना पड़ता है।
किसानों ने बताई अपनी पीड़ा
करजूगांव के अशोक पाटीदार ने दुखी होकर बताया कि प्याज की लागत भी नहीं निकल पा रही। उन्होंने कहा कि यह फसल घर में महिलाओं को रुलाती है और मंडी में किसानों को। फसल की देखभाल में पूरे परिवार ने कड़ी मेहनत की थी। लेकिन अब सब कुछ व्यर्थ साबित हो रहा है।
गादोला के जगदीश तेली ने कहा कि हर साल अच्छे भाव की उम्मीद से प्याज बोते हैं। इस बार भी अच्छी फसल हुई थी। लेकिन अचानक दाम गिर गए। दो दिन पहले तक दाम ठीक थे। लेकिन व्यापारियों ने नीलामी में सब कुछ बदल दिया। उन्होंने सरकार से मदद की गुहार लगाई।
प्याज की खेती की लागत
प्याज कीखेती में काफी लागत आती है। खेत तैयार करने से लेकर बीज, खाद और सिंचाई पर अच्छा खर्च होता है। फसल कटाई के बाद सफाई और ग्रेडिंग का काम होता है। फिर परिवहन खर्च अलग से जुड़ता है। इन सबके बाद अगर दाम नहीं मिले तो किसान घाटे में चला जाता है।
किसानों का कहना है कि उन्हें कम से कम पंद्रह से बीस रुपये प्रति किलो मिलना चाहिए। तभी उनकी लागत निकल पाएगी। लेकिन मौजूदा दाम तो उसके आधे से भी कम हैं। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। वे अगली फसल के लिए भी चिंतित हैं।
मंडी व्यवस्था पर सवाल
किसान मंडीव्यवस्था पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। उनका आरोप है कि व्यापारी आपस में मिलकर काम करते हैं। वे नीलामी में कम बोली लगाते हैं। फिर आपस में ही फसल खरीद लेते हैं। इससे किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाता। मंडी समिति इस ओर ध्यान नहीं देती।
कुछ किसानों ने मांग की है कि सरकार हस्तक्षेप करे। न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था लागू हो। ताकि किसानों को उनकी लागत का दाम मिल सके। किसानों का कहना है कि बिना सरकारी हस्तक्षेप के स्थिति सुधरने वाली नहीं है। उनकी हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है।
