Omar Yaghi Nobel Prize Chemistry: रसायन विज्ञान के क्षेत्र में साल 2025 का नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से दिया गया है। रॉयल स्वीडिश अकादमी ऑफ साइंसेज ने सुशुमु किदाकावा, रिचर्ड रॉब्सन और उमर एम यागी को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देने की घोषणा की। इन वैज्ञानिकों को धातु-आधारित संरचनाओं के विकास में उनके योगदान के लिए चुना गया है। उमर यागी के शोध को विशेष रूप से क्रांतिकारी माना जा रहा है।
उमर मुनिस यागी का जन्म 9 फरवरी 1965 को जॉर्डन के अम्मान में हुआ था। उनके पिता एक इंजीनियर थे। बेहतर नौकरी की तलाश में उनका परिवार अमेरिका के मिशिगन में बस गया। बचपन से ही घर पर किए जाने वाले रोचक वैज्ञानिक प्रयोगों ने उनकी रसायन विज्ञान में गहरी रुचि जगाई। यही रुचि आगे चलकर एक बड़े आविष्कार का आधार बनी।
यागी ने मिशिगन यूनिवर्सिटी से रसायन विज्ञान में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। सन 1990 में उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनॉय अर्बana-शैंपेन से पीएचडी की उपाधि हासिल की। इस दौरान उन्होंने प्रसिद्ध रसायनज्ञ फ्रेजर स्टोडार्ट के मार्गदर्शन में शोध कार्य किया। पीएचडी के बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और यूसी बर्कले में पोस्टडॉक्टरल शोध भी पूरा किया।
शिक्षण और पेशेवर सफर
सन 1991 में यागी ने एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। सन 2009 में वे यूसी बर्कले में प्रोफेसर के पद पर नियुक्त हुए। वर्तमान में वह इसी संस्थान में जेम्स एंड नील्ज़ी ट्रेटर एन्डोव्ड चेयर इन केमिस्ट्री के प्रोफेसर हैं। इसके अलावा वे लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी में वैज्ञानिक और कैवली एनर्जी नैनोसाइंसेस इंस्टीट्यूट के सह-निदेशक भी हैं।
रेटिकुलर केमिस्ट्री में क्रांतिकारी योगदान
उमर यागी को ‘मेटल-ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स’ या एमओएफ के पिता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने रेटिकुलर केमिस्ट्री की नींव रखी। इस तकनीक में अणुओं को लेगो ब्रिक्स की तरह जोड़कर नई संरचनाएं बनाई जाती हैं। सन 1995 में उन्होंने धातु आयनों और कार्बनिक लिंकर्स का उपयोग करके मजबूत कोऑर्डिनेशन पॉलिमर बनाए।
सन 1998 में उन्होंने सेकेंडरी बिल्डिंग यूनिट्स की खोज की। इससे स्थायी छिद्रपूर्ण संरचनाएं बनाना संभव हो सका। सन 1999 में उन्होंने एमओएफ-5 का निर्माण किया। यह एक अत्यधिक छिद्रपूर्ण फ्रेमवर्क है जिसका सतह क्षेत्र एक फुटबॉल मैदान के बराबर है। इस खोज ने सामग्री विज्ञान की दुनिया बदल दी।
कोवैलेंट ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स का विकास
सन 2005 में यागी ने कोवैलेंट ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क्स यानी सीओएफ विकसित किए। ये पूरी तरह कार्बनिक, हल्के और अत्यधिक बहुमुखी सामग्री हैं। इन सामग्रियों के अनुप्रयोग बेहद व्यापक हैं। इनका उपयोग शुष्क हवा से पीने का पानी उत्पन्न करने में किया जा सकता है। यह तकनीक दुनिया के जल संकट को हल करने में मददगार साबित हो रही है।
इन फ्रेमवर्क्स का उपयोग वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ने के लिए भी किया जाता है। यह जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक प्रभावी तरीका है। इसके अलावा ये सामग्रियां हाइड्रोजन जैसी गैसों को सुरक्षित रूप से संग्रहीत करने में सक्षम हैं। यह साफ ऊर्जा के भंडारण की दिशा में एक बड़ा कदम है।
चिकित्सा और पर्यावरण में अनुप्रयोग
इन सामग्रियों का उपयोग दवाओं के लक्षित वितरण प्रणाली में भी हो रहा है। इससे कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में मदद मिलती है। वे प्रदूषण नियंत्रण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। ये हवा और पानी से हानिकारक प्रदूषकों को अलग कर सकते हैं। इससे पर्यावरण सुधार में सहायता मिलती है।
उमर यागी के काम ने सामग्री विज्ञान के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत की है। उनके शोध से 600 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं। उनके काम का वार्षिक उद्धरण 25,000 से अधिक है। उनके शोध पर आधारित एच2एमओएफ जैसी स्टार्टअप कंपनियां भी स्थापित हुई हैं। ये कंपनियां उनकी तकनीकों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं के समाधान में लगा रही हैं।
8 अक्टूबर 2025 को स्टॉकहोम में आयोजित एक समारोह में उमर यागी को नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें अन्य दो विजेताओं के साथ 11 मिलियन स्वीडिश क्रोनर की पुरस्कार राशि साझा की गई। नोबेल समिति ने इन तीनों वैज्ञानिकों के काम को रसायन विज्ञान में मील का पत्थर बताया। उनके आविष्कारों ने मानवता की कुछ सबसे बड़ी चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत किया है।
