Karnataka News: ओला इलेक्ट्रिक के संस्थापक भाविश अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ एक इंजीनियर की आत्महत्या का मामला दर्ज हुआ है। 38 वर्षीय कर्मचारी ने आत्महत्या से पहले उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। बेंगलुरु पुलिस ने कंपनी के सीईओ भाविश अग्रवाल और वरिष्ठ अधिकारी सुब्रत कुमार दास के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
मृतक कर्मचारी के. अरविंद ओला इलेक्ट्रिक में इंजीनियर थे। वह साढ़े तीन साल से कंपनी के साथ जुड़े हुए थे। 28 सितंबर को उन्हें चिक्कलसंद्रा स्थित अपने अपार्टमेंट में मृत पाया गया। उन्हें तुरंत महाराजा अग्रसेन अस्पताल ले जाया गया लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
28 पन्नों का सुसाइड नोट मिला
पुलिस ने घटनास्थल से 28 पृष्ठों का एक सुसाइड नोट बरामद किया। इस नोट में अरविंद ने वरिष्ठ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने मानसिक उत्पीड़न और वेतन भुगतान न मिलने का हवाला दिया। अरविंद के अनुसार लगातार दबाव और अनुचित कार्य परिस्थितियों ने उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
अरविंद के भाई अश्विन कन्नन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। ओला इलेक्ट्रिक ने आरोपों को खारिज कर दिया है। कंपनी ने कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग दे रही है। साथ ही कंपनी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
कंपनी ने की एफआईआर चुनौती
ओला इलेक्ट्रिक ने कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। कंपनी ने भाविश अग्रवाल और अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। कंपनी के वकीलों का तर्क है कि आरोप निराधार हैं और प्राथमिकी गलत तरीके से दर्ज की गई है। अदालत ने इस मामले में सुनवाई की तारीख तय की है।
कंपनी ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। इसमें अरविंद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया गया। कंपनी ने परिवार के प्रति संवेदनाएं जताईं। साथ ही कंपनी ने कहा कि वह आंतरिक जांच कर रही है। कंपनी ने कार्यस्थल पर उत्पीड़न के सभी आरोपों से इनकार किया।
पुलिस जारी रख रही है जांच
बेंगलुरु पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू की है। पुलिस अधिकारियों ने कंपनी के दफ्तर से कुछ दस्तावेज भी बरामद किए हैं। पुलिस मृतक के सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों से पूछताछ कर रही है। पुलिस का कहना है कि सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।
ओला इलेक्ट्रिक के कर्मचारियों ने इस घटना पर गहरी चिंता जताई है। कुछ कर्मचारियों ने कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य नीतियों में सुधार की मांग की है। उद्योग जगत में यह मामला काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। सभी की नजरें अब अदालत के आगे के फैसले पर टिकी हैं।
