शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

मोटापा: शादी के बाद क्यों बढ़ता है जोड़ों का वजन? ICMR की ताजा रिपोर्ट में हुए चौंकाने वाले खुलासे

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India News: भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) की एक नई रिपोर्ट ने शादीशुदा जोड़ों में मोटापे की बढ़ती समस्या पर प्रकाश डाला है। अध्ययन के अनुसार, देश में हर चार में से एक विवाहित जोड़ा मोटापे या अधिक वजन की समस्या से जूझ रहा है। यह समस्या खासकर शहरी क्षेत्रों और आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों में अधिक देखी जा रही है। युवा जोड़ों, खासकर 30 साल से कम उम्र वालों में, मोटापा तेजी से बढ़ रहा है, जो भविष्य में स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देता है।

अध्ययन का आधार और प्रमुख निष्कर्ष

ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च, TERI स्कूल ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़ और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019-21) के डेटा का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में 52,737 शादीशुदा जोड़ों के आंकड़ों का मूल्यांकन किया गया। अध्ययन में पाया गया कि 27.4% जोड़े मोटापे के स्तर पर समान स्थिति में हैं। शहरी क्षेत्रों में यह आंकड़ा 38.4% तक पहुंचता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 22.1% है।

क्षेत्रीय स्तर पर मोटापे की स्थिति

रिपोर्ट में कुछ राज्यों में मोटापे की समस्या अधिक गंभीर पाई गई। केरल में 51.3%, जम्मू-कश्मीर में 48.5%, मणिपुर में 47.9%, दिल्ली में 47.1% और गोवा में 45% जोड़े मोटापे से प्रभावित हैं। मध्यम स्तर पर आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और उत्तराखंड जैसे राज्य हैं, जहां मोटापे की दर 25-35% के बीच है। वहीं, ओडिशा, झारखंड, नगालैंड और त्रिपुरा जैसे पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में यह दर 19-22% के बीच है।

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साझा जीवनशैली और मोटापा

शादी के बाद पति-पत्नी की जीवनशैली और खान-पान की आदतें एक-दूसरे से मिलने लगती हैं। देर रात भोजन, जंक फूड का सेवन और टीवी देखते समय खाना जैसी आदतें मोटापे को बढ़ावा देती हैं। ICMR की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शालिनी सिंह ने बताया कि जोड़े भले ही जैविक रूप से अलग हों, लेकिन उनकी सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय परिस्थितियाँ समान होती हैं। इससे उनके स्वास्थ्य पर एक जैसा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, जोड़े एक साथ अस्वास्थ्यकर भोजन चुनते हैं या शारीरिक गतिविधियों से दूरी बनाते हैं।

सामाजिक और पारिवारिक कारक

रिपोर्ट में पाया गया कि एकल परिवारों में रहने वाले 28.9% जोड़ों में मोटापे की समानता देखी गई, जबकि संयुक्त परिवारों में यह आंकड़ा 25.9% था। इसका कारण यह है कि संयुक्त परिवारों में घरेलू काम और पारिवारिक सहयोग के चलते शारीरिक गतिविधियाँ बनी रहती हैं। वहीं, एकल परिवारों में बाहरी भोजन और बैठे-बैठे काम करने की आदतें मोटापे को बढ़ाती हैं। इसके अलावा, समान शिक्षा स्तर वाले जोड़ों में मोटापे की दर 31.4% पाई गई। शिक्षा का स्तर खान-पान, व्यायाम और दिनचर्या को प्रभावित करता है।

युवा जोड़ों में बढ़ता खतरा

30 साल से कम उम्र के जोड़ों में मोटापे की दर सबसे तेजी से बढ़ रही है। केरल में इस आयु वर्ग के 42.8% जोड़े, गोवा में 37%, जम्मू-कश्मीर में 31.6% और तमिलनाडु में 29.6% जोड़े मोटापे से प्रभावित हैं। यह शुरुआती उम्र में मेटाबॉलिक समस्याओं का संकेत देता है, जो डायबिटीज, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है। शहरी जीवनशैली, तनाव और अस्वास्थ्यकर खान-पान इस समस्या को और बढ़ा रहे हैं।

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विशेषज्ञों की चेतावनी और सुझाव

अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. प्रशांत कुमार सिंह ने बताया कि मोटापा अब केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और पारिवारिक आदतों से गहराई से जुड़ा है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्वास्थ्य कार्यक्रमों को अब जोड़ों और परिवारों पर केंद्रित करना चाहिए। विशेषज्ञ शहरी और संपन्न जोड़ों के लिए जागरूकता अभियान, स्वस्थ खान-पान और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की बात कह रहे हैं। साथ ही, सोशल मीडिया और निजी स्वास्थ्य सेवाओं के जरिए स्वस्थ जीवनशैली को आकर्षक बनाना जरूरी है।

भविष्य के लिए चेतावनी

रिपोर्ट में सामने आया कि आर्थिक रूप से संपन्न परिवारों में मोटापे की समस्या 4.3 गुना अधिक है। यह दर्शाता है कि समृद्धि के साथ-साथ अस्वास्थ्यकर जीवनशैली भी बढ़ रही है। शहरीकरण और बदलते सामाजिक ढांचे ने जोड़ों की आदतों को एकसमान बनाया है, जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो मोटापा और उससे जुड़ी बीमारियाँ भारत में स्वास्थ्य संकट को और गहरा सकती हैं।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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