Technology News: एनवीडिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जेन्सन हुआंग ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता की प्रतिस्पर्धा में चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है। हुआंग ने अमेरिका को इस मामले में सचेत किया है। उन्होंने एक शोध केंद्र में इस पूरे विषय की विस्तृत व्याख्या की।
हुआंग ने एआई प्रतिस्पर्धा को समझाने के लिए पांच परतों वाले केक का मॉडल पेश किया। इस मॉडल में ऊर्जा, चिप्स, बुनियादी ढांचा, मॉडल और अनुप्रयोग शामिल हैं। उन्होंने हर परत में अमेरिका और चीन की स्थिति का विश्लेषण किया। इस विश्लेषण से कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए।
ऊर्जा के मामले में चीन आगे
हुआंग केअनुसार ऊर्जा के मामले में चीन का पलड़ा भारी है। उन्होंने बताया कि चीन के पास अमेरिका के मुकाबले लगभग दोगुनी ऊर्जा उपलब्ध है। उन्होंने सवाल उठाया कि बिना बिजली के चिप प्लांट या एआई डेटा सेंटर कैसे बनेंगे। ऊर्जा की उपलब्धता तकनीकी विकास की पहली शर्त है।
चीन ने ऊर्जा उत्पादन और वितरण पर बड़ा निवेश किया है। इससे उसे औद्योगिक और तकनीकी परियोजनाओं में फायदा मिल रहा है। अमेरिका को इस दिशा में और काम करने की जरूरत है। ऊर्जा सुरक्षा तकनीकी महाशक्ति बनने का आधार है।
चिप तकनीक में अमेरिका शक्तिशाली
सेमीकंडक्टर चिप्स केमामले में अमेरिका की स्थिति मजबूत है। हुआंग ने कहा कि अमेरिका चीन से कई पीढ़ी आगे है। यह खबर अमेरिका के लिए राहत भरी है। चिप डिजाइन और निर्माण में अमेरिकी कंपनियों का दबदबा कायम है।
लेकिन हुआंग ने आत्मविश्वास से बचने की चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि चीन निर्माण के क्षेत्र में माहिर है। चीन तेजी से तकनीकी अंतर को पाटने की कोशिश कर रहा है। इसलिए अमेरिका को लगातार नवाचार जारी रखना होगा।
बुनियादी ढांचे में चीन की रफ्तार
बुनियादीढांचे के निर्माण में चीन की गति अविश्वसनीय है। हुआंग ने एक उदाहरण देकर इसकी तुलना की। अमेरिका में डेटा सेंटर बनाने में तीन साल लग सकते हैं। चीन में सप्ताहांत में ही एक अस्पताल तैयार हो जाता है।
यह तेज निर्माण क्षमता चीन को बड़ा लाभ देती है। तकनीकी परियोजनाओं को जल्दी से जमीन पर उतारा जा सकता है। अमेरिकी प्रक्रियाओं में लगने वाला समय एक चुनौती बना हुआ है। निर्माण गति प्रौद्योगिकी विकास को सीधे प्रभावित करती है।
जेन्सन हुआंग ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की योजना का भी जिक्र किया। ट्रंप ने अमेरिका को फिर से निर्माण का केंद्र बनाने की बात कही थी। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए बड़े प्रयासों की आवश्यकता होगी। अमेरिका को अपनी नीतियों और निवेश पर पुनर्विचार करना होगा।
एआई प्रतिस्पर्धा वैश्विक तकनीकी भू राजनीति को नई दिशा दे रही है। दोनों देश अपने अपने फायदे का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस संघर्ष का परिणाम भविष्य की तकनीकी व्यवस्था तय करेगा। कंपनियों और सरकारों के लिए यह एक महत्वपूर्ण मोड़ है।
