Shimla News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने नर्सरी टीचर ट्रेनिंग यानी एनटीटी पास युवाओं के लिए बड़ी पहल की है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से एनटीटी भर्ती के नियमों में छूट देने का अनुरोध किया है। मांग है कि एक साल के डिप्लोमा धारकों को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने की अनुमति दी जाए। इसके लिए सरकार युवाओं को ब्रिज कोर्स करवाने का प्रस्ताव भी लेकर आई है।
समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने दिल्ली में शिक्षा मंत्रालय और एनसीईआरटी के अधिकारियों के साथ बैठक की। इस बैठक में उन्होंने हिमाचल के युवाओं की समस्या रखी। उन्होंने बताया कि राज्य में अधिकतर एनटीटी डिप्लोमाधारकों ने एक साल का कोर्स किया हुआ है।
वर्तमान राष्ट्रीय नियमों के अनुसार, नर्सरी शिक्षक बनने के लिए दो साल का डिप्लोमा होना जरूरी है। इस कारण हिमाचल के हजारों युवा भर्ती के लिए अयोग्य हो गए हैं। यह मुद्दा राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है।
ब्रिज कोर्स का प्रस्ताव
हिमाचल सरकार ने इस समस्या के समाधान के लिए एक ठोस योजना पेश की है। प्रस्ताव के मुताबिक, सरकार एक साल का डिप्लोमा रखने वाले युवाओं के लिए ब्रिज कोर्स चलाएगी। यह कोर्स जिला स्तर पर डाईट केंद्रों पर संचालित किया जाएगा। इसकी मंजूरी केंद्र सरकार से मांगी गई है।
इस ब्रिज कोर्स को पूरा करने के बाद युवाओं के पास दो साल के डिप्लोमा के बराबर योग्यता मानी जा सकेगी। इससे उन्हें भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने का मौका मिल सकेगा। इस कदम से राज्य के रोजगार परिदृश्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।
6297 पदों पर भर्ती प्रक्रिया अटकी
हिमाचल प्रदेश में वर्तमान में नर्सरी कक्षाओं को पढ़ाने का काम जेबीटी शिक्षक कर रहे हैं। राज्य सरकार ने विशेष रूप से नर्सरी शिक्षण के लिए 6297 पदों पर एनटीटी शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू की थी। यह भर्ती प्रक्रिया लगभग पूरी होने के करीब है।
लेकिन योग्यता संबंधी नियमों के कारण यह प्रक्रिया रुसी हुई है। एनटीटी प्रशिक्षित अध्यापिका संघ लंबे समय से इस मामले को उठा रहा है। संघ ने राज्य सरकार से कई बार नियमों में छूट की मांग की है।
राज्य सरकार ने अब यह मामला केंद्र सरकार के समक्ष गंभीरता से उठाया है। नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन द्वारा तय मानदंडों में बदलाव की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के पास है। हिमाचल सरकार का प्रयास है कि राज्य के युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकें।
इस मांग के स्वीकार होने से न केवल हजारों युवाओं के भविष्य में सुधार होगा, बल्कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता भी बेहतर होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रशिक्षित शिक्षकों का होना अत्यंत आवश्यक है।
