Pyongyang News: उत्तर कोरिया ने अपनी सबसे उन्नत अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल हसोंग-18 का सफल परीक्षण किया है। यह मिसाइल ठोस ईंधन तकनीक पर काम करती है और इसे तेजी से लॉन्च किया जा सकता है। इसकी मारक क्षमता 15,000 किलोमीटर तक बताई जा रही है।
हसोंग-18 हाइपरसोनिक गति से उड़ान भरने में सक्षम है। यह किसी भी आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली को चकमा दे सकती है। इस मिसाइल में परमाणु हथियार ले जाने की क्षमता भी है। इस वजह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता व्यक्त की जा रही है।
तकनीकी विशेषताएं
ठोस ईंधन तकनीक मिसाइल को त्वरित लॉन्च की सुविधा देती है। इसे पहले से ईंधन भरने की आवश्यकता नहीं होती। इस कारण दुश्मन देशों को कोई चेतावनी नहीं मिल पाती। मिसाइल की गति इसे रडार सिस्टम से बचने में मदद करती है।
मिसाइल की लंबी दूरी इसे वैश्विक खतरा बनाती है। यह एशिया, यूरोप और अमेरिका तक पहुंच सकती है। उत्तर कोरिया ने दावा किया कि यह उनकी रक्षा क्षमता में महत्वपूर्ण सुधार है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इस दावे की पुष्टि कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने इस परीक्षण की कड़ी निंदा की है। इन देशों ने इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने भी चिंता व्यक्त की है। उत्तर कोरिया पर पहले से ही कई प्रतिबंध लागू हैं।
विश्लेषकों का मानना है कि यह मिसाइल क्षेत्र में सैन्य संतुलन बदल सकती है। इसके कारण हथियारों की होड़ बढ़ने की आशंका है। पड़ोसी देश अपनी मिसाइल रक्षा प्रणालियों को मजबूत कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय राजनयिक प्रयास तेज होने की उम्मीद है।
