Lifestyle News: आज के दौर में मोबाइल हमारी जिंदगी का सबसे अहम हिस्सा बन गया है। लोग इसके बिना एक पल भी नहीं रह पाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह आदत एक गंभीर बीमारी का रूप ले रही है? इसे नोमोफोबिया कहा जाता है। इसमें इंसान को फोन से दूर होने पर घबराहट होने लगती है। यह एक दुर्लभ बीमारी थी, जो अब आम होती जा रही है।
क्या है नोमोफोबिया बीमारी?
नोमोफोबिया का मतलब है बिना फोन के रहने का डर। इस बीमारी में व्यक्ति को हर पल अपना मोबाइल खोने का डर सताता है। कई बार बैटरी खत्म होने या फोन टूटने के ख्याल से ही पसीना आ जाता है। यह एक मानसिक स्थिति है जिसे एंग्जाइटी से जोड़ा जाता है। लोग इसमें अपना पर्सनल डेटा खोने से भी डरते हैं। मनोरंजन और सोशल मीडिया की लत ने इसे और बढ़ा दिया है।
रिसर्च में हुआ बड़ा खुलासा
द रिकवरी विलेज की एक रिपोर्ट के अनुसार, यह समस्या युवाओं में तेजी से बढ़ रही है। एक शोध में पाया गया कि बड़ी संख्या में छात्र नोमोफोबिक हैं। आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 23 फीसदी पुरुष छात्रों में इसके लक्षण मिले हैं। ऐसे लोग दिन भर में करीब 35 बार अपना मोबाइल चेक करते हैं। यह लत अब मानसिक शांति के लिए खतरा बनती जा रही है।
इन लक्षणों से हो जाएं सावधान
अगर आप बार-बार फोन के नोटिफिकेशन चेक करते हैं, तो सतर्क हो जाएं। मोबाइल स्विच ऑफ करने में डर लगना भी इसका लक्षण है। फोन पूरा चार्ज होने पर भी बार-बार चार्जिंग लगाना चिंता का विषय है। नेटवर्क या वाई-फाई न होने पर बेचैनी महसूस होना भी नोमोफोबिया है। इसके अलावा, हर जगह फोन साथ ले जाना भी खतरे की घंटी है। समय रहते इन आदतों में सुधार करना बहुत जरूरी है।
