शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

Nobel Prize 2025: रसायन विज्ञान का तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से मिला नोबेल, जानें योगदान

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Stockholm News: रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने वर्ष 2025 के लिए रसायन विज्ञान के नोबेल पुरस्कार की घोषणा कर दी है। यह पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से दिया जाएगा। इनमें जापान के सुसुमु कितागावा, अमेरिका के उमर एम. याघी और ऑस्ट्रेलिया के रिचर्ड रॉबसन शामिल हैं। तीनों वैज्ञानिकों को यह सम्मान मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क के विकास के लिए दिया जा रहा है।

एकेडमी ने बताया कि इन वैज्ञानिकों ने एक नई तरह की आणविक संरचना का विकास किया है। यह खोज भविष्य में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है। मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क एक प्रकार की सूक्ष्म सामग्री है जिसमें असंख्य छिद्र होते हैं।

रिचर्ड रॉबसन ने की थी शुरुआत

वर्ष 1989 में रसायन विज्ञान पुरस्कार विजेता रिचर्ड रॉबसन ने परमाणुओं के अंतर्निहित गुणों का नए तरीके से उपयोग करने का परीक्षण किया था। उन्होंने धनावेशित कॉपर आयनों को एक चतुर्भुज अणु के साथ संयोजित किया। इस अणु में एक रासायनिक समूह था जो प्रत्येक भुजा के अंत में कॉपर आयनों की ओर आकर्षित होता था।

जब ये संयोजित हुए तो ये एक सुव्यवस्थित, विशाल क्रिस्टल का निर्माण करने के लिए बंध गए। यह संरचना असंख्य गुहाओं से भरे हीरे जैसी दिखाई देती है। इस खोज ने मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क के विकास की नींव रखी। रॉबसन का काम इस क्षेत्र में मौलिक साबित हुआ।

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सुसुमु कितागावा का योगदान

जापानी वैज्ञानिक सुसुमु कितागावा ने इस शोध को आगे बढ़ाया। उन्होंने दिखाया कि गैसें इन संरचनाओं के अंदर और बाहर प्रवाहित हो सकती हैं। यह खोज गैस भंडारण और पृथक्करण के क्षेत्र में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुई। उन्होंने भविष्यवाणी की कि धातु-कार्बनिक ढांचे को लचीला बनाया जा सकता है।

कितागावा के काम ने साबित किया कि ये सामग्रियां गैस अणुओं को सोखने और छोड़ने में सक्षम हैं। इस गुण के कारण इनका उपयोग ऊर्जा भंडारण और पर्यावरण संरक्षण में हो सकता है। उनकी खोजों ने इस क्षेत्र में नई संभावनाएं खोल दीं।

उमर याघी ने बनाया स्थिर ढांचा

अमेरिकी वैज्ञानिक उमर एम. याघी ने एक बहुत ही स्थिर मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क बनाया। उन्होंने दिखाया कि तर्कसंगत डिजाइन का उपयोग करके इसे संशोधित किया जा सकता है। इस संशोधन से इसे नए और वांछनीय गुण प्राप्त हो सकते हैं। याघी के काम ने इस क्षेत्र में अनुसंधान को नई दिशा दी।

उनकी विधि से वैज्ञानिक विशिष्ट उद्देश्यों के लिए इन सामग्रियों को तैयार कर सकते हैं। इनमें शामिल हैं:

  • कार्बन डाइऑक्साइड का पृथक्करण
  • जल संग्रहण प्रणालियां
  • दवा वितरण प्रणालियां
  • उत्प्रेरक अनुप्रयोग
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मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क के उपयोग

मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क अत्यधिक छिद्रपूर्ण सामग्री हैं। इनमें बहुत बड़ा सतह क्षेत्र होता है। एक चम्मच एमओएफ सामग्री का सतह क्षेत्र एक फुटबॉल मैदान जितना हो सकता है। इस विशेष गुण के कारण इनका उपयोग गैस भंडारण में बहुत प्रभावी है।

हाइड्रोजन और मीथेन जैसी गैसों को संग्रहीत करने में ये सामग्रियां विशेष रूप से उपयोगी हैं। यह गुण ऊर्जा भंडारण की चुनौतियों को हल करने में मदद कर सकता है। भविष्य में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में इनका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।

वैज्ञानिक शोध में महत्व

इन तीनों वैज्ञानिकों के काम ने सामग्री विज्ञान के क्षेत्र में नए द्वार खोले हैं। मेटल ऑर्गेनिक फ्रेमवर्क अब दुनिया भर के शोधकर्ताओं के लिए एक सक्रिय क्षेत्र बन गया है। इन सामग्रियों के संभावित अनुप्रयोगों की सीमा बहुत व्यापक है। पर्यावरण संरक्षण से लेकर चिकित्सा तक में इनका उपयोग संभव है।

रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने इस खोज को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया है। उनका कहना है कि यह काम भविष्य की प्रौद्योगिकियों को आकार देगा। यह पुरस्कार विज्ञान की दुनिया में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को मान्यता देता है। तीनों वैज्ञानिकों का योगदान अगली पीढ़ी के शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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