शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

नोबेल शांति पुरस्कार: ट्रंप का सपना टूटा, आज घोषित होगा विजेता; जानें क्या बोली नोबल समिति

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World News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल शांति पुरस्कार की उम्मीदों पर आज पानी फिर गया। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि 2025 के पुरस्कार का फैसला पिछले सोमवार को ही हो चुका है। इसका मतलब यह है कि ट्रंप द्वारा हाल में किए गए किसी भी दावे या गाजा समझौते पर इस साल के पुरस्कार में विचार नहीं किया जाएगा। समिति के इस बयान ने ट्रंप के पुरस्कार पाने की संभावनाओं को व्यावहारिक रूप से समाप्त कर दिया है।

ट्रंप के दावों पर उठे सवाल

राष्ट्रपति ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने अपने दूसरे कार्यकाल में सात अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को सुलझाया है। उनकी सूची में कंबोडिया-थाईलैंड, कोसोवो-सर्बिया और पाकिस्तान-भारत जैसे विवाद शामिल हैं । हालांकि, विशेषज्ञों ने इनमें से कई दावों की सत्यता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उदाहरण के लिए, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रंप के पाकिस्तान-भारत संघर्ष में मध्यस्थता के दावे का स्पष्ट रूप से खंडन किया था। इसी तरह गाजा योजना अभी तक पूरी तरह से लागू भी नहीं हुई है।

समिति पर पड़ रहा है दबाव

ट्रंप और उनके समर्थकों ने पुरस्कार के लिए खुलकर पैरवी की है। ट्रंप ने यहां तक कहा कि यदि उन्हें पुरस्कार नहीं दिया गया तो यह अमेरिका का अपमान होगा। इस रणनीति ने नॉर्वे की नोबेल समिति को एक कठिन स्थिति में डाल दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि समिति किसी भी तरह के बाहरी दबाव में आने से इनकार करती है। समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि उसके फैसले किसी की जोर-जबरदस्ती से प्रभावित नहीं होते।

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पुरस्कार का इतिहास और मानदंड

नोबेल शांति पुरस्कार का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग, शस्त्र नियंत्रण और शांति वार्ता को बढ़ावा देने वाले लोगों या संगठनों को सम्मानित करना है। विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की कई नीतियां इस मानदंड के विपरीत हैं। उदाहरण के लिए, उनका अंतरराष्ट्रीय संगठनों से अलग होना और व्यापार युद्ध छेड़ना शांति के लक्ष्यों के अनुकूल नहीं माना जाता। इसके विपरीत, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को बढ़ावा देने के लिए 2009 में यह पुरस्कार दिया गया था।

विशेषज्ञों की राय

अधिकांश नोबेल विशेषज्ञों ने ट्रंप के इस साल पुरस्कार पाने की संभावना को लगभग शून्य बताया है। स्वीडन के अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ पीटर वालेंस्टीन का मानना है कि अगले साल तक गाजा संकट जैसे मुद्दों के स्पष्ट होने के बाद ही ट्रंप पर गंभीरता से विचार किया जा सकता है। ओस्लो शांति अनुसंधान संस्थान की निदेशक नीना ग्रेगर ने भी ट्रंप की नीतियों को नोबेल के मूल उद्देश्यों के विपरीत बताया है।

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संभावित विजेताओं की चर्चा

इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 338 व्यक्ति और संगठन नामित थे। ओस्लो में हो रही चर्चाओं में सूडान के स्वयंसेवक नेटवर्क ‘इमरजेंसी रिस्पांस रूम्स’ का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है । रूसी विरोधी नेता अलेक्सेई नवालनी की पत्नी यूलिया नवालनाया और यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग संगठन के ‘डेमोक्रेटिक इंस्टीट्यूशंस एंड ह्यूमन राइट्स ऑफिस’ को भी संभावित दावेदार माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस या शरणार्थी एजेंसियों को भी पुरस्कार मिल सकता है।

आगे की राह

नोबेल समिति ने स्पष्ट कर दिया है कि गाजा सहित किसी भी नए शांति समझौते पर केवल अगले साल के पुरस्कार के लिए विचार किया जाएगा । इस साल के लिए नामांकन की अंतिम तिथि 31 जनवरी थी, जो बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी है । समिति के अध्यक्ष जोर्गेन वाटने फ्राइडनेस ने कहा कि वे पूर्ण रूप से मूल्यांकन करते हैं और किसी व्यक्ति या संगठन का समग्र व्यक्तित्व और उनका शांति के लिए वास्तविक योगदान महत्वपूर्ण होता है। आज दोपहर पुरस्कार की घोषणा के साथ ही सभी अटकलों पर विराम लग जाएगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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