International News: वेनेजुएला की नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने की घोषणा ने वैश्विक चर्चा शुरू कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के समर्थकों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें यह पुरस्कार मिलेगा। इस पर राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए चुटकी ली है।
सिंघवी ने सोशल मीडिया पर मजाक भरे अंदाज में लिखा, “हल्के-फुल्के अंदाज में… ट्रंप: अगर मुझे नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिला तो मैं दुनिया में तहलका मचा दूंगा… नोबेल समिति: मचाडो।” उन्होंने इस टिप्पणी को बेकार जोक बताने की चेतावनी भी दी थी। ट्रंप की नोबेल पुरस्कार पाने की इच्छा सार्वजनिक रही है।
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया और आरोप
नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा के बाद व्हाइट हाउस ने नॉर्वेजियन नोबेल समिति पर तीखा हमला बोला। व्हाइट हाउस के संचार निदेशक स्टीवन चेउंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बयान जारी किया। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति ट्रंप शांति समझौते करते रहेंगे और युद्ध समाप्त करते रहेंगे।
चेउंग ने आरोप लगाया कि नोबेल समिति ने साबित कर दिया है कि वे शांति से ज्यादा राजनीति को महत्व देते हैं। ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि वे दुनिया भर के विभिन्न संघर्षों को सुलझा रहे हैं। उनका मानना है कि वे नोबेल शांति पुरस्कार के हकदार हैं। हालांकि कई लोग इस दावे पर सवाल उठाते रहे हैं।
मारिया कोरिना मचाडो की प्रतिक्रिया
मारिया कोरिना मचाडो ने नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला के लोगों और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित किया। उन्होंने ट्रंप के वेनेजुएला के लोकतंत्र समर्थक आंदोलन के निर्णायक समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। मचाडो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
उन्होंने लिखा, “मैं यह पुरस्कार वेनेजुएला के पीड़ित लोगों और हमारे आंदोलन के निर्णायक समर्थन के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित करती हूं!” मचाडो वेनेजुएला में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन की प्रमुख नेता हैं। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।
राजनीतिक हल्कों में प्रतिक्रियाएं
नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा ने वैश्विक राजनीतिक हल्कों में चर्चा शुरू कर दी है। अभिषेक मनु सिंघवी की टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। ट्रंप के समर्थक इस निर्णय से नाराजगी जता रहे हैं। वे मानते हैं कि ट्रंप अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
नोबेल समिति के इस निर्णय को राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मचाडो का चयन वेनेजुएला में लोकतंत्र समर्थक आंदोलन को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन देने के रूप में देखा जा रहा है। यह पुरस्कार वैश्विक राजनीति में नई बहस छेड़ सकता है।
