India News: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने ही मंत्रालय की नौकरशाही पर निशाना साधा है। उन्होंने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कामकाज में अड़चन पैदा करने वाले एक इंजीनियर का जिक्र किया। गडकरी ने कहा कि ऐसे अधिकारियों के फैसलों की वजह से उन्हें दुनिया भर में आलोचना झेलनी पड़ती है।
गडकरी ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि भारी ट्रैफिक वाले इलाकों में डायवर्जन के निर्माण को लेकर मानकों का पालन नहीं होता। जब उन्होंने एक इंजीनियर से इसकी वजह पूछी तो उसने जवाब दिया कि सरकारी आदेश में जैसा लिखा है, वैसा ही किया जा रहा है। इस पर मंत्री ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि उस ‘महान’ व्यक्ति का सम्मान करें जिसने यह आदेश जारी किया।
अफसरशाही पर तीखा प्रहार
केंद्रीय मंत्री ने नौकरशाही की ‘यस मैन’ संस्कृति पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर वरिष्ठ अधिकारी कहता है कि गधा घोड़ा है, तो जूनियर को भी वही मानना पड़ता है। उनका मानना है कि बहुत सारा ज्ञान और अनुभव सिर्फ किताबों और दफ्तरों तक सीमित रह जाता है। वास्तविक सुधार तभी आएगा जब अधिकारी प्रैक्टिकल ट्रेनिंग लेंगे।
गडकरी ने एक और गंभीर मुद्दे की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि जो अधिकारी जूनियर होते हैं, उन्हें कुछ नया करने की अनुमति नहीं होती। बाद में वही अधिकारी वरिष्ठ बनकर अपने जूनियर्स को रोकने लगते हैं। इस तरह की सोच नई पहल को बाधित करती है। हर कदम पर जांच के डर से अधिकारी निर्णय लेने से कतराते हैं।
सिस्टम में है बड़ी खामी
मंत्री के अनुसार, विभाग में बहुत कम ऐसे अधिकारी बचे हैं जो खुद सोचकर फैसला लेते हैं। ज्यादातर वही करते हैं जो कागजात में लिखा होता है, चाहे वह सही हो या गलत। इस वजह से सुधार की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाती है। गडकरी की नाराजगी साफ जाहिर हो रही थी।
नितिन गडकरी ने स्पष्ट किया कि सड़क और हाईवे प्रोजेक्ट्स में ढिलाई और खराब योजना के लिए अंततः उन्हें ही जनता के सामने जवाब देना पड़ता है। उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ता है। लेकिन असली जिम्मेदारी तो उन अधिकारियों की है जो गलत आदेश और दिशा-निर्देश जारी करते हैं। यह समस्या व्यवस्थागत है।
