Maharashtra News: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि समाज में कुछ लोग ऐसे होने चाहिए, जो सरकार के खिलाफ अदालत में अर्जी दाखिल कर सकें। नागपुर में प्रकाश देशपांडे स्मृति कुशल संगठक पुरस्कार समारोह में उन्होंने यह बात कही। गडकरी ने जोर दिया कि लोक प्रशासन में अनुशासन बनाए रखने के लिए अदालती हस्तक्षेप जरूरी है। इससे नेताओं में जवाबदेही बनी रहती है और जनहित के फैसले लिए जा सकते हैं।
प्रशासन में अनुशासन के लिए अदालत जरूरी
नितिन गडकरी ने कहा कि अदालत के माध्यम से प्रशासन में अनुशासन कायम होता है। कई बार सरकार जनता को लुभाने की राजनीति के कारण कठोर फैसले नहीं ले पाती। ऐसे में अदालत के आदेश से वे काम हो जाते हैं, जो मंत्री या नेता नहीं कर पाते। उन्होंने समाज में उन लोगों की जरूरत बताई, जो गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएं और जनहित में अदालत का रुख करें।
सरकार को फैसले बदलने पर मजबूर करती है जनता
गडकरी ने उदाहरण देते हुए बताया कि कई बार जनता के अदालत जाने से सरकार को अपने फैसले बदलने पड़े। उन्होंने कहा कि ऐसे कदम प्रशासन को पारदर्शी और जवाबदेह बनाते हैं। नागपुर में अपने संबोधन में उन्होंने उन लोगों की सराहना की, जिन्होंने सरकार के खिलाफ याचिका दायर की। इससे न केवल गलत नीतियां रुकीं, बल्कि जनता के हित में बेहतर निर्णय भी हुए।
नेताओं में जवाबदेही बढ़ाने की जरूरत
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नेताओं में अनुशासन बनाए रखने के लिए समाज का सक्रिय रहना जरूरी है। अदालत में याचिका दायर करने की प्रक्रिया से सरकार पर दबाव बनता है। गडकरी ने जोर दिया कि जनहित में उठाए गए ऐसे कदम लोकतंत्र को मजबूत करते हैं। उनके इस बयान से लोगों में जागरूकता बढ़ाने और प्रशासन को जवाबदेह बनाने का संदेश गया।
जनहित में अदालत का सहारा
नितिन गडकरी ने अपने भाषण में उन मामलों का जिक्र किया, जहां अदालत के हस्तक्षेप से बड़े बदलाव हुए। उन्होंने कहा कि कई बार सरकारें जनता के दबाव में फैसले लेने से हिचकती हैं। ऐसे में अदालतें जनहित के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। गडकरी ने समाज के उन लोगों को प्रोत्साहित किया, जो गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते हैं और लोकतंत्र को मजबूत करते हैं।
